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निजी क्लिनिक में मौत के बाद मिले गलत चेक के विरोध में प्रदर्शन

करीब तीन घंटे तक रमेश चौक पर पूरी तरह बाधित रहा आवागमन, सिविल सर्जन डॉ लालसा सिन्हा के निजी क्लिनिक में 31 अगस्त को हुई थी जच्चा-बच्चा की मौत

करीब तीन घंटे तक रमेश चौक पर पूरी तरह बाधित रहा आवागमन सिविल सर्जन डॉ लालसा सिन्हा के निजी क्लिनिक में 31 अगस्त को हुई थी जच्चा-बच्चा की मौत औरंगाबाद ग्रामीण. शुक्रवार को शहर के रमेश चौक पर सिविल सर्जन डॉ लालसा सिन्हा के निजी क्लिनिक में बीते दिनों हुए जच्चा-बच्चा की मौत के बाद मिले चेक की राशि होल्ड करने के विरोध में आक्रोशितों ने हंगामा किया और सड़क जाम कर नारेबाजी की. आरोप है कि डॉ लालसा सिन्हा द्वारा मैनेज करने के बाद चेक दिया गया था, जिससे पैसे की निकासी नहीं हुई. इसी के विरोध में शुक्रवार को करीब तीन घंटे तक रमेश चौक पर आवागमन पूरी तरह बाधित रहा. सिविल सर्जन के विरुद्ध आक्रोशितों ने नारेबाजी करते हुए आगजनी की. विरोध प्रदर्शन में नवीनगर विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह, राजद नेता उदय उज्ज्वल, अनिल यादव सहित अन्य लोग भी शाामिल थे. प्रदर्शन के दौरान रास्ते से आने-जाने को लेकर आक्रोशितों व आम लोगों में बहस भी हुई. कोई अप्रिय घटना नहीं हो इसे लेकर पुलिस भी तैनात थी. विधायक डब्लू सिंह ने कहा कि 31 अगस्त को लालसा सिन्हा के निजी क्लिनिक में माली थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव निवासी नरेंद्र यादव की पत्नी पूनम देवी की प्रसव के दौरान मौत हो गयी थी. इसके साथ उसके पेट में पल रहे जुड़वा बच्चों की भी मौत हो गयी. आरोप है कि शुरू से ही उसका इलाज लालसा सिन्हा के ही निजी क्लिनिक में चल रहा था. जब प्रसव होने लगा तो डॉ लालसा सिन्हा द्वारा ऑपरेशन के दौरान महिला का गलत इलाज किया गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गयी. मामले को छिपाने के लिए इमरजेंसी बताते हुए उसे रेफर कर दिया गया. हालांकि, परिजनों ने सूझबूझ दिखायी और जांच करायी तो वह मृत थी. परिजनों का कहना था कि ऑपरेशन के दौरान अगर महिला की मौत हो गयी थी, तो पेट में पल रहे दोनों जुड़वा बच्चों को बचाया जा सकता था, लेकिन सभी की जान चली गयी. मौत के बाद परिजनों ने हंगामा भी किया था. पुलिस भी पहुंची. मामले को रफा दफा करने के लिए समझौता हुआ और 23 लाख रुपये पर मामला तय हुआ. विधायक डब्लू सिंह के सामने डॉ लालसा सिन्हा द्वारा 23 लाख रुपये का चेक काटकर दिया गया और उसपर पांच सितंबर का डेट डाला गया. कहा गया था कि अभी खाते में कम पैसा है. पांच तारीख तक पूरा पैसा हो जायेगा, तो बैंक में चेक जमा कर पैसा निकाल लेंगे. इसके बाद मामला शांत हो गया. जब पांच तारीख के बाद परिजन बैंक में गये, तो खाता होल्ड पाया गया, जिसके कारण पैसा नहीं निकला. उदय उज्ज्वल ने कहा कि घटना बहुत दुखद है. सिविल सर्जन के अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत दुखद है. जिला प्रशासन इस पर कड़ी कार्रवाई करें. अभी तक मामले में प्राथमिकी भी नहीं हुई. इधर, नगर थानाध्यक्ष उपेंद्र कुमार सिंह, मुफस्सिल थानाध्यक्ष अशोक कुमार दल बल के साथ रमेश चौक पहुंचे और आक्रोशितों का समझाने-बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आक्रोशित मानने को तैयार नही हुए. नारेबाजी के दौरान आक्रोशितों ने आगजनी की. आमलोगों से बहसबाजी हुई. हालांकि जब-जब मामला को शांत कराया जा रहा था तब तब आक्रोशितों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था. आंदोलन की सूचना पर एसडीएम संतन सिंह, एसडीपीओ संजय कुमार पांडेय दल बल के साथ रमेश चौक पहुंचे और आक्रोशितों को समझाया. उन्होंने कहा कि जो भी मामला है उस पर जांच होगी. जांच के उपरांत कड़ी कार्रवाई की जायेगी. वैसे जानकारी यह भी मिली कि रमेश चौक पर मामला शांत होने के बाद अभी लोग सर्किट हाउस चले गए. वहां डॉक्टरों की टीम से बातचीत की सूचना प्राप्त हुई. हालांकि, प्रभात खबर इसकी पुष्टि नही करता है. इधर, सिविल सर्जन डॉ लालसा सिन्हा ने कहा कि उनपर लगा आरोप बेबुनियाद है. उनके ऊपर जबरन प्रेशर बनाया गया.

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