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दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण सड़क की चौड़ाई कम होना, ट्रैफिक बोझ बढ़ने के साथ भीषण जाम से भी जुझते हैं लोग

दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण सड़क की चौड़ाई कम होना

ट्रैफिक बोझ बढ़ने के साथ भीषण जाम से भी जुझते हैं लोग

दाउदनगर. औरंगाबाद-पटना मुख्य पथ दुर्घटना संभावित सड़क बन चुकी है. इस सड़क पर एक ओर जहां ट्रैफिक बोझ बढ़ा है, वहीं दूसरी तरफ भीषण जाम की समस्या भी बनी रहती है. आये दिन इस पर औरंगाबाद से अरवल की सीमा ठाकुर बिगहा तक सड़क दुर्घटनाओं में या तो लोगों की जान जाती है या फिर जख्मी होकर लंबे समय तक लोगों को इलाज कराना पड़ता है. इसका कारण यह माना जाता है कि एक ओर जहां इस सड़क की चौड़ाई कम है, वहीं ट्रैफिक बोझ बहुत अधिक है. कुछ महीना पहले जब गया में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा इस सड़क को फोरलेन कराने से संबंधित घोषणा की गयी थी, तब लोगों में उम्मीद जगी थी. लेकिन बाद में यह उम्मीद नाउम्मीद में बदल गयी. इस सड़क को फोरलेन करने की मांग को लेकर आंदोलन भी किया जा चुका है. इस सड़क से जुड़े लोगों की यह मांग व्यापक रूप से है कि इसे फोनलेन कराया जाये. हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा औरंगाबाद और दाउदनगर में बाइपास बनाने की योजना है और ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि बाइपास बनने के बाद काफी हद तक जाम की समस्या का निदान हो सकता है, लेकिन लोगों की मांग है कि इस सड़क को फोरलेन बनाया जाये.

नवनिर्वाचित विधायक से लोगों की बंधी उम्मीदओबरा से निर्वाचित विधायक डॉ प्रकाश चंद्र से लोगों को उम्मीद बंधी है. उन्होंने इस दिशा में सकारात्मक पहल की है. डॉ प्रकाश चंद्र ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने इसे दोहराया. इनका कहना है कि एनएच चौड़ीकरण कराने एवं एनएच के समानांतर पटना से औरंगाबाद तक सड़क बनवाने के लिए वे लगातार प्रयास करते रहेंगे, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी आये. लोगों को उम्मीद है कि डॉ प्रकाश चंद्र इस दिशा में लगातार सकारात्मक पहल करेंगे और इस दिशा में कार्य क्या होगा.

पलामू से पटना को जोड़नेवाला प्रमुख मार्ग है एनएच 139

यह एनएच झारखंड के पलामू जिले से शुरू होकर औरंगाबाद-अरवल होते हुए पटना तक जाता है. यह मार्ग न केवल झारखंड व बिहार को आपस में जोड़ता है, बल्कि औद्योगिक खनिज, वाणिज्यिक व आवागमन की दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है. झारखंड से आने वाले स्टोन चिप्स व सोन नदी से निकलने वाले बालू के परिवहन के कारण इस मार्ग पर ट्रकों एवं वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही निरंतर बनी रहती है, जिससे ओबरा, दाउदनगर, अरवल जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. इस राजमार्ग की चौड़ाई लगभग सात मीटर है जो ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए अपर्याप्त है. 2024 में किये गये ट्रैफिक सर्वे में इस पथ पर प्रतिदिन 18 हजार 77 पीसीयू दर्ज किया गया है, जबकि भारत सरकार परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग के 26 मई 2016 के परिपत्र के अनुसार किसी भी मार्ग के फोरलेन अपग्रेडेशन के लिए 15 हजार पीसीयू को न्यूनतम सीमा माना गया है. सूत्रों से पता चला कि जून 2025 में डीएम श्रीकांत शास्त्री ने भी पथ निर्माण विभाग के अपर सचिव को पत्र प्रेषित कर इस मार्ग के संपूर्ण खंड के फोरलेनिंग के लिए अग्रतर कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.

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