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विधि विधान से की गयी कर्मा पूजा

झूर, काशी व बेलौन्धर काे दिया गया महत्व

झूर, काशी व बेलौन्धर काे दिया गया महत्व औरंगाबाद/कुटुंबा. सनातन संस्कृति का पर्व कर्म एकादशी बुधवार को विधि विधान से मनाया गया. श्रद्धालुओ ने लौकिक व वैदिक रीति से भगवान विष्णु व शंकर तथा माता पार्वती की पूजन किया. जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बहनों ने अपने भाईयों के वैभव व सुख शांति निमित्त कर्म एकादशी व्रत का अनुष्ठान किया. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कर्मा एकादशी का व्रत रखने से खुद सौभाग्य की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत करने वाली महिलाओं व बालिकाओं ने आंगन में लकड़ी के पीढ़े पर रखकर झूर काशी व बेलौन्धर का विधिवत पूजन किया. महिलाएं झूर के नीचे मिट्टी से भगवान शंकर, पार्वती के साथ गणेश जी की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा की हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश बुद्धि व ज्ञान का आशीर्वाद देते हैं. आचार्य राधेकृष्ण पांडेय व रजनीश पांडेय ने बताया कि भगवान विष्णु, शंकर और पार्वती जी के साथ गणेश जी की आराधना करने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं. पूजा के क्रम में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव पर जलाभिषेक कर बेलपत्र और धतूरा अर्पित किया. झूर पूजन के पश्चात व्रती कर्मा व धर्मा दो भाइयों पर आधारित पौराणिक कथा का श्रवण करते दिखे. कर्म एकादशी के अगले दिन गुरुवार को सूर्योदय के बाद बासी भात, दही और कर्मी का साग खाकर व्रतियों ने पारण कर व्रत का अनुष्ठान पूर्ण की. कर्म एकादशी के दौरान खीरा, केला, सेवा, साग, झिंगीं आदि मौसमी फल फूल सब्जी के साथ बेलपत्र काशी बेलौन्धर आदि का विशेष महत्व दिया गया.

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