औरंगाबाद कार्यालय. जिस बाइक पर दो लोगों को बैठने की अनुमति है उस पर तीन लोग सवार होते हैं. एक तस्वीर में एक अभिभावक तीन मासूम बच्चों को लेकर गुजरते हुए दिख रहा है. शायद इससे बड़ी लापरवाही नहीं हो सकती है. बगैर हेलमेट के बच्चों को ले जा रहे इस अभिभावक को कम से कम अपनी और बच्चों की जान की चिंता होनी चाहिए. तीसरी तस्वीर सवारियों से ओवरलोड एक बस की है. जब बस के भीतर में जगह कम पड़ गया, तो सवारियों को ऊपर बैठा लिया गया. हालांकि, परिवहन नियमों की बात करें तो बस के छत पर सवारियों को नहीं बैठाना है, लेकिन इसकी चिंता न तो बस मालिकों की है और न छत पर बैठकर यात्रा करने वाले सवारियों की. जिस मिनी बस में 20 से 25 लोगों को बैठने की जगह है उस पर 50 लोगों को ढोया जा रहा है. इस तरह का नजारा आम बात बन गया है.
लग्न में ढूंसकर ले जाये जा रहे सवारी
लग्न में वाहन स्टैंडों पर भीड़ है. अधिकांश वाहनों के लग्न में बुक होने की वजह से हर दिन यात्रा करने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ वाहनें चल रही है, तो उसमें भेड़ बकरी की तरह सवारियों को ठूंसकर उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है. बारात या तिलक में शामिल होने वाले लोगों को वहां तक पहुंचाने के लिए जो वाहन किये जा रहे है, उसमें भी स्थिति एक जैसी है.एक-एक वाहनों पर क्षमता से चार गुना अधिक सवारियों को ढोया जा रहा है.सड़क सुरक्षा सप्ताह का नहीं दिख रहा असर
औरंगाबाद जिले में जिला प्रशासन द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह के माध्यम से सुव्यवस्थित परिवहन, दुर्घटना से बचाव सहित विभिन्न मुद्दों पर लोगों को जागरूक किया जाता रहा है. स्कूली बच्चों के माध्यम से जागरूकता रैली निकाली जाती है. परिवहन विभाग के अधिकारी अभियान चलाकर लोगों को दुर्घटना से बचाव की जानकारी देते है. वाहन चलाने के तौर-तरीके सिखाते है, लेकिन इसका असर पड़ता हुआ नहीं दिख रहा है.कई बार दे चुके हैं जुर्माना, लेकिन नहीं खरीद सके हेलमेट
औरंगाबाद जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंड मुख्यालयों में हर दूसरे-तीसरे दिन वाहन जांच अभियान चलाया जाता है. परिवहन विभाग के पदाधिकारी या ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ विभिन्न थानों के पुलिस कर्मी इस अभियान में शामिल रहते है. लाखों रुपये जुर्माना वसूल किये जाते है. बड़ी बात यह है कि ट्रिपल लोडिंग चलने वाले और बगैर हेलमेट के बाइक चलाने वाले लोग कई बार जुर्माना भर चुके है, लेकिन एक हेलमेट तक नहीं खरीद सके. दो हजार, चार हजार का जुर्माना भरना उन्हें मंजूर है, लेकिन इतने पैसे का हेलमेट नहीं खरीद सकते. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि आप जितने जुर्माना ले ले हम नहीं सुधरेंगे.क्या कहते है डीटीओ
जिला परिवहन पदाधिकारी शैलेश कुमार दास ने बताया कि दुर्घटनाओं को रोकने और वाहन चालकों को परिवहन विभाग के नियमों की जानकारी देने के लिए विभाग द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है. लापरवाह चालकों से जुर्माने की वसूली भी की जाती है. अब सख्ती से कार्रवाई की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

