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Aurangabad News : मूल्यांकन समाप्त होते ही ठगों के आने लगा फोन

Aurangabad News: साइबर अपराधी सक्रीय, इंग्लिश व फिजिक्स में नंबर कम आया है, तो पेफोन से पैसा भेजने का दे रहे प्रलोभन

औरंगाबाद/अंबा. हैलो! मैं बिहार बिहार बोर्ड, पटना के परीक्षा विभाग से बोल रहा हूं. तुम कंपार्टमेंटल परीक्षा में इटंर साइंस के इंग्लिश व फिजिक्स विषय में फेल कर गई हो. उक्त दोनो विषय में बहुत हीं कम नंबर आया है. अगर अच्छा नंबर से इटंर पास करना चाहती हो, तो तुरंत पे फोन पर 3000 रुपये पेमेंट करने होंगे. वार्षिक परीक्षा के तरह इस बार फिर फेल कर जाओगे. इस तरह के फर्जी कॉल आने से वैरिया गांव की छात्रा नेहा कुमारी व उसके परिजन हैरान हैं. इंटर कंपार्टमेंटल परीक्षा के उत्तर-पुस्तिकिओं के मूल्यांकन संपन्न होते के साथ हीं परीक्षार्थी व अभिभावक के मोबाइल पर लगातार फोन आ रहें हैं. इस तरह का फोन कई बच्चों के मोबाइल पर आया है. ऐसी कॉल आने से उनके अभिभावक समझ नहीं पा रहे है कि आखिर उनका फोन नंबर, कॉल करने वाले फर्जी कर्मियों को कहां से और कैसे मिल जाता है. फोन करने के क्रम जालसाज परीक्षार्थियों के आधार नंबर के साथ माता- पिता व संस्था का नाम तथा सब्जेक्ट बता देते हैं. ऐसे में बच्चे और उनके भोले-भाले अभिभावकों को साइबर अपराधी के झांसे में आना स्वाभाविक है. हालांकि, शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे कॉल अगर मोबाइल पर आये तो अभिभावकों को पूरी तरह से सतर्क हो जाना चाहिए. सोमवार यानी 19 मई को को 3:45 बजे उक्त छात्रा के मोबाइल पर साइबर अपराधी ने फोन कर अपने को बोर्ड का कर्मचारी बता रहा था.ठगो ने पैसा पेमेंट करने के लिए व्हाट्सएप पर स्कैनर भी भेज दिया है. इतना हीं नहीं फोन पर बात करने के दौरान नेहा को उसने महिला कॉलेज मुड़िला अंबा की छात्रा भी बता दिया. हालांकि नेहा के अभिभावकों ने तुरंत प्रभात खबर की टीम से संपर्क किया. इसके पश्चात मिडिया कर्मियों ने इसकी जानकारी फोन से जिला शिक्षा कार्यालय औरंगाबाद को दी. विभागीय अधिकारियों ने सावधान रहने की नसीहत दी है. इस तरह का कॉल एक दो व्यक्ति को नहीं बल्कि आए दिन दर्जनो व्यक्ति के मोबाइल पर आ रहा है.ऐसे में लोग फर्जी कॉल आने से ठगी के शिकार भी हो रहे है.विदित हो कि आए दिन पीएम आवास से लेकर पीएम किसान के लाभ दिलाने परीक्षा में पास कराने नौकरी में योगदान करने के लिए नियुक्ति पत्र वितरण के नाम पर ठगी हो रही है. इसके बावजूद साइबर अपराधी पुलिस गिरफ्त से बच जा रहे हैं. ऐसे में खासकर स्मार्ट फोन लोगो के लिए अभिशाप साबित हो रहा है.

मूल्यांकन शुरू होने के पहले सेंब हीं सक्रीय रहते हैं साईबर अपराधी

मैट्रिक व इंटर के मूल्यांकन शुरू होने से लेकर रिजल्ट प्रकाशित होने तक साईबर अपराधी पूरी तरह से सक्रीय रहते हैं. आये दिन जालसाज भोले-भाले अभिभावक को अपना निशाना बना रहे है. स्थिति ऐसी है कि बोर्ड के फर्जी कॉल आने से अभिभावक की परेशानी बढ़ जा रही है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर क्या करें.आश्चर्य की बात तो यह है कि साईबर अपराधी परीक्षार्थियों का रौल कोड व रौल नंबर के साथ-साथ अभिभावक का फोन नबंर कहां से व कैसे उपलब्ध कर ले रहें हैं. ऐसे में ठगी के शिकार होने से अपना आप को बचाना सहज प्रतीत नहीं हो रहा है.फर्स्ट डिवीजन के चक्कर में लोग अबतक हजारो रूपये गवां चुके हैं, फिर भी मीडिया कर्मियों से बताने से परहेज कर रहें हैं. फोन करने वाला जालसाज कभी अपने आप को बोर्ड का कर्मचारी, कभी डाटा इंट्री ऑपरेटर तो कभी परीक्षक बता रहा है. ऐसे बुद्धजीवियों का मानना है कि जितनी परेशानी साइबर अपराधी की सक्रियता से नहीं है उससे अधिक शासन तंत्र की निष्क्रियता से है. अगर मामले में कार्रवाई होती तो अभिभावकों के मोबाइल पर इस तरह का कॉल नहीं आता. ऐसे प्रभात खबर अखबार ने परीक्षार्थी के अभिभावकों को सुझाव दिया है कि इस तरह के फोन से आप सचेत और सुरक्षित रहें अन्यथा पॉकेट खाली हो सकता है.

पैरवी की गुंजाइश नहीं रहती

बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित मैट्रिक व इंटर के मूल्यांकन से लेकर रिजल्ट तक पैरवी की गुंजाइश नहीं रहती है. आंसर सीट पूरी तरह से बारकोडेड रहता है. परीक्षा समाप्त होने के पश्चात आंसर सीट से रौल कोड रौल नंबर व परीक्षार्थी का फोटो हटाकर अलग से स्टीकर लगा दिया जाता है. यहां तक की किस स्टूडेंट की कांपी है, इसकी भनक परीक्षकों को भी नहीं लगती है. मूल्यांकन के क्रम में हीं बोर्ड को ऑनलाइन मार्क्स पेस्ट कर दिया जाता है.इसके लिए अलग से मेकर चेकर व सुपरवाईजर लगाए जाते है.मेकर मूल्यांकित आसंर सीटो का मार्क्स इंट्री करते है. इसके बाद आंसर सीट चेकर के टेबल पर ऑनलाइन करने के लिए दिया जाता है. दोनों के बीच का मार्क्स का मिश मैच करने पर सुपरवाइजर मिलान कर उसे सुधार कर लेते है. कहीं से फर्जीवाड़ा का रास्ता नहीं दिखता है.

क्या बताते हैं अफसर

शिक्षा विभाग के डीपीओ दयाशंकर सिंह ने कहा कि अगर किसी भी व्यक्ति के मोबाइल पर इस तरह का कॉल आए तो उसके झांसे में आकर पैसा नहीं डालिए.तुरंत इसकी शिकायत पुलिस को करें. साइर अपराधी स्कूल के कंप्यूटर व कैफे के डाटा हैक कर लोगो से ठगी कर रहे हैं. बिहार विद्यालय बोर्ड इस तरह का फोन किसी को नहीं करा रहा है. ये साइबर अपराधी है जो फर्जीवाड़ा कर ठगी करने का प्रयास कर रहें है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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