औरंगाबाद ग्रामीण.
औरंगाबाद का मॉडल अस्पताल कहा जाने वाला सदर अस्पताल में पिछले डेढ़ वर्षों से उपाधीक्षक पद को लेकर सीनियर-जूनियर के बीच खींचतान चल रहा है. डेढ़ वर्षों के कई उपाधीक्षक बदले गये. आरोप-प्रत्यारोप का दौर हमेशा जारी ही रहता है. इधर, एक बार फिर हाल ही में उपाधीक्षक बने डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह को सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने हटाने की मांग की है. इसी मांग को लेकर चिकित्सक सोमवार से हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं. हालांकि, कुछ डॉक्टरों से मिली जानकारी के अनुसार, हड़ताल पर जाने से पहले एक बार सभी चिकित्सक सिविल सर्जन से मुलाकात करेंगे. अगर उनकी मांगे पूरी कर दी गयी, तो वे हड़ताल पर नहीं जायेंगे. चिकित्सकों का आरोप है कि डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह की नियुक्ति राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आदेश का उल्लंघन करते हुए किया गया है. स्वास्थ्य विभाग के आदेश के अनुसार संस्थान के सबसे वरिष्ठ सदस्य को ही उपाधीक्षक बनाया जा सकता है. इसके बावजूद उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया गया है. यूं कहें कि अब तक उपाधीक्षक का पद सीनियर-जूनियर के बीच ही जूझ रहा है. डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह को उपाधीक्षक पद से हटाने के लिए डॉ अभिषेक कुमार सिंह, डॉ सुभाष कुमार सिंह, डॉ उदय कुमार, डॉ विनेश कुमार समेत 11 चिकित्सकों ने डीएम श्रीकांत शास्त्री व सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिंह को एक पत्र लिखा है. वैसे उस पत्र पर डॉ अरुण कुमार, डॉ देवेश भट्ट, डॉ जमुना पांडेय, डॉ रवि भूषण, डॉ अभिषेक कुमार सिंह, डॉ खालिद राजा, डॉ अमृत कुमार व डॉ प्रवीण कुमार अग्रवाल ने उपाधीक्षक पद से हटाने के लिए हस्ताक्षर भी किये हैं.डॉक्टरों ने उपाधीक्षक पर लगाये आरोप
डॉक्टरों द्वारा जारी पत्र के अनुसार चिकित्सकों ने उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह पर कई आरोप लगाये हैं. चिकित्सकों द्वारा आवेदन में उल्लेख किया गया है कि जब से डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह को सदर अस्पताल का उपाधीक्षक बनाया गया है तब से वे भ्रष्टाचार में डूबे हैं. सरकारी कागजात पर हस्ताक्षर करने, छुट्टी स्वीकृत करने व चिकित्सकों की ड्यूटी में छूट देने के लिए उनके द्वारा हमेशा पैसों की मांग की जाती है. पैसा न देने पर उपाधीक्षक डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह द्वारा अनुपस्थित कर देने की धमकी भी दी जाती है. इसके साथ ही अतिरिक्त ड्यूटी करने का भी दबाव दिया जाता है. वैसे इसके पहले से ही क्षेत्रीय निदेशक मगध क्षेत्र और लोक शिकायत विभाग जैसे उच्च अधिकारियों को भी पत्र के माध्यम से सूचित किया जा चुका है. मामले को लेकर अब तक जांच भी चल रही है. इसके बावजूद उन्हें उपाधीक्षक बना दिया गया, जबकि वे उपाधीक्षक के योग्य नहीं है. चिकित्सकों का आरोप है कि ड्यूटी के दौरान उपाधीक्षक द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए दुर्व्यवहार किया जाता है. बार-बार उपाधीक्षक द्वारा यह कहा जाता है कि वे यहां के स्थानीय निवासी हैं. उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है. इसके अलावा भी उपाधीक्षक पर कई आरोप लगाये गये हैं.सारे आरोप निराधार, काम पर है ध्यान : उपाधीक्षक
उपाधीक्षक डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि एक भी डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जायेंगे. जिन डॉक्टरों द्वारा पत्र लिखकर सिविल सर्जन व डीएम को दिया गया है उस पर फर्जी हस्ताक्षर किये गये हैं. उपाधीक्षक के मुताबिक जिन डॉक्टरों द्वारा उन्हें हटाने के लिए हस्ताक्षर किया गया है, वहीं डॉक्टर उनके पक्ष में हैं. पैसा लेने और दबाव बनाने के आरोप को उन्होंने बेबुनियाद और निराधार बताया है. सदर अस्पताल में उपाधीक्षक बनने के बाद कुछ डॉक्टरों के मनमाने रवैये पर रोक लगा दिया गया, जिसके कारण अन्य डॉक्टरों में खलबली मची हुई है. पहले भी कुछ डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा हस्ताक्षर कर सिविल सर्जन को आवेदन दिया गया था, लेकिन वह फर्जी हस्ताक्षर था. डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों ने इसका खुलासा भी किया था. सदर अस्पताल में सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है और बेहतर करने की कोशिश की जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

