आश्विन मास अमावस्या व रविवार को सूर्य देवता की पूजा का होता है विशेष महत्व
प्रतिनिधि, देव
त्रेतायुगीय सूर्य मंदिर में दर्शन पूजन के लिए रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. अश्विन मास की अमावस्या व रविवार होने की वजह से हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र सूर्यकुंड तालाब में स्नान कर भगवान का दर्शन पूजन किया. सूर्य मंदिर न्यास समिति के अनुसार श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर गर्भगृह के अंदर पूजा-अर्चना की. अहले सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. भगवान सूर्य के जयघोष से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा. वहीं, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी. पुरुष व महिला सिपाही सुरक्षा में तैनात थे. न्यास समिति के सचिव विश्वजीत राय व कोषाध्यक्ष सुधीर सिंह ने बताया कि सूर्य मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में अटूट आस्था और विश्वास है.मंदिर में प्रवेश मात्र से ही अनुभूति होती है कि मानों देवलोक का दर्शन कर रहे हैं. श्रद्धालु शुभ काम करने से पहले मंदिर में पूजा करने जरूर पहुंचते हैं. इधर, औरंगाबाद के अलावा अन्य कई जिलों से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे. ज्ञात हो कि मंदिर में भगवान सूर्य तीन स्वरूपों में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि तीन स्वरूपी भगवान सूर्य के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पुजारी राजेश पाठक व मृत्युंजय पाठक ने बताया कि आश्विन अमावस्या और रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से जीवन में आरोग्य, धन-संपदा, मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है, साथ ही सरकारी कामों में सफलता मिलती है और समाज में मान-सम्मान मिलता है. यह सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के आशीर्वाद के साथ-साथ सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम संयोग है, जो सभी कष्टों का निवारण करता है. मान्यता है कि आश्विन के रविवार को सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने से स्वास्थ्य बेहतर होता है. धन और समृद्धि में वृद्धि होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

