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दुर्घटना का सबब बन रही सड़कों पर घूमते पशु

दुर्घटना का सबब बन रही सड़कों पर घूमते पशु समाजसेवी संगठनों का नहीं है ध्यान, प्रशासन भी मौन औरंगाबाद (सदर).शहर की बहुत सी समाजसेवी संस्थाएं समाज के विभिन्न गतिविधियों में लगी है. कोई संस्था नि:शक्त को सशक्त कर रहे हैं तो कोई असहाय का सहारा बन रहे हैं. पर, ये समाजसेवी संगठन पशुओं के प्रति […]

दुर्घटना का सबब बन रही सड़कों पर घूमते पशु समाजसेवी संगठनों का नहीं है ध्यान, प्रशासन भी मौन औरंगाबाद (सदर).शहर की बहुत सी समाजसेवी संस्थाएं समाज के विभिन्न गतिविधियों में लगी है. कोई संस्था नि:शक्त को सशक्त कर रहे हैं तो कोई असहाय का सहारा बन रहे हैं. पर, ये समाजसेवी संगठन पशुओं के प्रति अपने संवेदना क्यों नहीं प्रकट कर रहा. माना जाता है कि पशुओं का भी जीवन स्तर होता है, तो उसे सुधारने के प्रयास में आखिर ये संस्था पीछे क्यों है. अवारा पशुओं को गोद लेने की बात हमेशा चर्चा में आती है, पर इस ओर कोइ ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा. ये सवाल लगातार शहर के बुद्धिजीवी चिंतक समाजसेवी संगठन से कर रहे हैं. दरअसल शहर की मुख्य सड़कों पर घूमते अवारा पशु लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है. शहर के पुरानी जीटी रोड पर घूमते अवारा पशु कभी दुर्घटना का सबब बनते हैं, तो कभी इनकी जान पर ही सामत आती है. सड़कों पर घुमते अवारा पशुओं के संबंध में बाजार के दुकानार बताते हैं कि अधिकतर पशु कुछ लोगों हैं जो इनकी देखरेख करना मुनासिब नहीं समझते. सड़क पर तड़प कर रह जाते हैं पशु : बाजार की सड़कों पर डिवाइडर से सट कर अपना डेरा डाले पशुओं की जिंदगी भी अजीब है. कोई चारपहिया वाहन इनका ख्याल नहीं रखते. भले ही लोग सड़क पर गिरने के बाद संभल जाते हैं, लेकिन जब पशु घायल होते हैं तो उसका दर्द बांटने कोई नहीं आता. कई पशु तो दुर्घटना में अपनी जान भी गंवा चुके हैं. सब्जी मंडी में कभी सब्जी दुकान तो कभी फलों की दुकान पर जब ये अपन सिर उठाते हैं तो दुकानदारों के गुस्से का भी इन्हें बड़ा हर्जाना भरना पड़ता है. सच तो ये है कि इनकी हर रोज सामत आयी रहती है.आखिर कोई तो आय आगे: समाजसेवी व बुद्धिजीवी वृद्ध जगन्नाथ प्रसाद कहते हैं कि पशु भले ही बोल नहीं सकते पर वे इनसान की प्यार की भाषा बखूबी समझते हैं. शहर की सड़कों पर घूमते अवारा पशुओं को देख ऐसा लगता है कि इन जानवरों से किसी की संवेदना नहीं जुड़ी है. पशुओं को अगर यहां की समाजसेवी संस्था संगठित होकर गोद लेने का बीड़ा उठा ले तो अवारा पशुओं की जिंदगी सुधरेगी ही,साथ ही सड़क दुर्घटना में भी कमी आयेगी.प्रशासन भी है बेफिक्र : सड़क पर अवारा घूमते पशुओं के प्रति जिला प्रशासन भी बेफिक्र है. जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की जा रही,जिससे पशुओं के कारण सड़क पर हो रही दुर्घटनाओं को रोका जा सके. समाजसेवी संगठन भी आगे नहीं आ रही जो प्रशासन को इस समस्या से अवगत करा सके. ‘नगर पर्षद का है ध्यान’नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी विमल कुमार ने कहा कि नगर पर्षद शहर की समस्याओं को लेकर गंभीर है. वे धीरे-धीरे समस्याओं को चिह्नित करते हुए उसका समाधान कर रही है. सड़क पर घूमते अवारा पशु एक बड़ी समस्या है जिस पर नगर पर्षद का ध्यान है. भविष्य में इस तरह गंभीरता से काम करने की योजना बनायी जा रही है. साथ ही वैसे पशुपालकों पर कार्रवाई करने की भी योजना है जो अपने पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते हैं.

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