हाल बेला मध्य विद्यालय का दो क्लास के बच्चों को पढ़ाया जाता एक साथ अंगरेजी, गणित व समाज अध्ययन के शिक्षक नहीं (फोटो नंबर-4) परिचय-शिक्षक के अभाव में खेल रहे बेला मध्य विद्यालय के बच्चे.देवकुंड (औरंगाबाद). शिक्षा के क्षेत्र में सरकार करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. लेकिन, सरकारी स्कूल आज भी प्राइवेट स्कूल से काफी पीछे हैं. हम बात कर रहे हैं हसपुरा प्रखंड के मध्य विद्यालय, बेला की. यहां शिक्षक की कमी से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है. इस स्कूल में पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जाती है, लेकिन शिक्षक के नाम पर केवल पांच शिक्षक ही कार्यरत हैं. इनमें एक प्रधानाध्यापक और एक संकुल समन्वयक हैं जो कभी-कभार ही स्कूल आते हैं. इस विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 354 है. प्रभारी प्रधानाध्यापक शिवनाथ राम ने बताया कि सभी शिक्षक समय से स्कूल आते हैं, लेकिन किसी तरह एक क्लास में दो वर्गों के बच्चों को बैठा कर पढ़ाया जाता है. इसके कारण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है. उन्होंने बताया कि इस स्कूल में अंगरेजी, गणित व समाज अध्ययन के शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गयी है. इस विद्यालय को देखने से स्पष्ट हो जाता है कि जिस विद्यालय में पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है उस विद्यालय में शिक्षकों की संख्या केवल चार हो तो उस विद्यालय में पठन-पाठन कार्य क्या बच्चों के बीच गुणवत्तापूर्ण होगी. अगर, नहीं तो सीधे कहे की छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ विभाग खिलवाड़ कर रहा है. यही बच्चे कल के भविष्य हैं.
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354 बच्चों की पढ़ाई पांच शिक्षक के भरोसे
हाल बेला मध्य विद्यालय का दो क्लास के बच्चों को पढ़ाया जाता एक साथ अंगरेजी, गणित व समाज अध्ययन के शिक्षक नहीं (फोटो नंबर-4) परिचय-शिक्षक के अभाव में खेल रहे बेला मध्य विद्यालय के बच्चे.देवकुंड (औरंगाबाद). शिक्षा के क्षेत्र में सरकार करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल […]
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