औरंगाबाद : औरंगाबाद शहर को व्यवस्थित करने या स्वच्छ व सुंदर बनाने की तमाम घोषणाएं हवा-हवाई साबित हुआ. नेताओं की तरह घोषणा में विश्वास करने वाले पदाधिकारियों व नगर पर्षद के सर्वेसर्वा की तमाम बातें सिर्फ छलावा साबित हुई. यूं कहे कि पदाधिकारी घोषणा करने में नेता बन गये है तो कोई बड़ी बात नहीं.
आज शहर की सबसे प्रमुख समस्या अतिक्रमण और हर दिन होने वाले जाम है. जाम से कितना नुकसान हो रहा है यह शायद उन्हें पता नहीं,जो रुक-रुक कर अतिक्रमण हटाने के वादे करते है.महंगाई के इस दौर में डीजल-पेट्रोल की अहमियत कितनी है वे सिर्फ वही जानते है जो कभी-कभी पैसे के अभाव में दोपहिया वाहनों से बाजार या जरूरी काम से निकलते है.
ऐसे में जाम पेट्रोल -डीजल के लिए साइलेंस किलर साबित हो रहा है. मुख्य बाजार पथ पुरानी जीटी रोड अतिक्रमणकारियों का शिकार नहीं है,बल्कि उनके हवाले कर दिया गया है. यही कारण है कि अतिक्रमणकारी अपनी मर्जी से सड़क पर ही दुकान सजाते है. पिछले एक दशक से शहर के लिए अतिक्रमण और जाम कोढ़ साबित होते आ रहा है. मुख्य बाजार पथ के बाद अब मुहल्लों को जोड़ने वाली सड़कें भी जाम का शिकार हो रही है. महाराजगंज रोड पीछे नहीं है, बल्कि बाजार पथ की तरह ही जाम के दौर से गुजर रहा है. ओवरब्रिज का इलाका हर दिन जाम की चपेट में रहता है.
ऑटो चालक भी जाम का एक कारण : शहरी जाम में जितनी भूमिका अतिक्रमणकारी निभाते है,उससे कहीं अधिक योगदान ऑटो चालकों का होता है. रूट का निर्धारण नहीं होने की वजह से शहर में ऑटो का संचालन मनमनजी किया जाता है. ऑटो संघ को सिर्फ हर दिन होने वाले वसूली पर ध्यान रहता है. औरंगाबाद शहर में करीब 1500 ऑटो चलता है. रामाबांध स्टैंड से रमेश चौक,धर्मशाला चौक और फार्म मोड़ तक ऑटो का संचालन होता है.यह सही बात है कि औरंगाबाद के लिए ऑटो लाइफ लाइन है, पर जाम का यह सबसे बड़ा कारण है. अप्रशिक्षित चालक मनमर्जी ऑटो चलाते है और बिना निर्धारित स्थान के पहले ही ऑटो वापस मोड़ लेते है