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निचली अदालत का ऐतिहासिक फैसला : DM की गाड़ी नीलाम कर राशि नजारत में जमा कराने का दिया आदेश

औरंगाबाद : जिलाधिकारी कंवल तनुज का स्कॉर्पियो गाड़ी को नीलाम करने का फैसला न्यायालय ने सुनाया है. साथ ही नीलामी की राशि औरंगाबाद के सिविल कोर्ट की नजारत में जमा करने का आदेश दिया हैं. यह आदेश व्यवहार न्यायालय के सब जज-1 अनिल कुमार मिश्रा के न्यायालय से जारी किया गया हैं. जानकारी के मुताबिक, […]

औरंगाबाद : जिलाधिकारी कंवल तनुज का स्कॉर्पियो गाड़ी को नीलाम करने का फैसला न्यायालय ने सुनाया है. साथ ही नीलामी की राशि औरंगाबाद के सिविल कोर्ट की नजारत में जमा करने का आदेश दिया हैं. यह आदेश व्यवहार न्यायालय के सब जज-1 अनिल कुमार मिश्रा के न्यायालय से जारी किया गया हैं. जानकारी के मुताबिक, मुंगेश्वरी देवी बनाम बिहार सरकार, वाद संख्या 4/2007 में न्यायालय ने यह आदेश जारी किया है. यह वाद स्वत्व वाद संख्या 146/90 में पारित निर्णय व डिक्री के आधार पर चल रहा है.

मालूम हो कि मुआवजे के लिए 23200 के भुगतान के लिए वाद लाया गया था. इसमें 23287 रुपये का भुगतान भी किया गया था. इसमें ब्याज का बकाया रकम नहीं जोड़ा गया था. अब यह ब्याज की रकम के साथ अदालत ने 1,53,376.54 रुपये भुगतान का आदेश दिया है. इस मामले में कुल नौ पक्षकार हैं. इस संबंध में जिलाधिकारी कंवल तनुज ने कहा कि मामले की जानकारी ले रहे हैं. फिलहाल उन्हें आदेश की कॉपी नहीं मिली है. अदालत का जो भी आदेश होगा, उसका अनुपालन किया जायेगा.

क्या है मामला

नगर थाने के जसोइया टोले के मिश्र बिगहा निवासी शिकायतकर्ता रामकेश पासवान की कुछ साल पहले मौत हो गयी थी. इसके बाद मुंगेश्वरी देवी ने मामले की पैरवी की. वर्ष 2008 में उक्त महिला की मौत के बाद इस केस की पैरवी दिनेश्वर पासवान कर रहे थे. आठ अक्टूबर, 2010 को भी एक आदेश मुआवजा भुगतान से संबंधित पारित किया गया था. इस संबंध में अभिलेख पर पटना हाईकोर्ट का आदेश भी संलग्न था, जिसके द्वारा शीघ्र मुआवजा भुगतान का निर्देश दिया गया था. आठ अक्टूबर, 2015 को न्यायालय के आदेश की सूचना जिलाधिकारी को दी गयी थी. इसके बाद आठ मार्च, 2016 के लिए सूचीबद्ध किया गया. स्मार पत्र के जरिये जिलाधिकारी को सूचना दी गयी. साथ ही विभिन्न मौकों पर सूचना दी जाती रही, लेकिन भुगतान नहीं हो सका. 23 अप्रैल, 2016 को भी जिलाधिकारी को सूचित किया गया, लेकिन शिकायतकर्ता को भुगतान नहीं किया गया. 28 नवंबर, 2017 को एक आवेदन पत्र देकर जिलाधिकारी का स्कार्पियो BR26H- 2222 नीलाम करा कर भुगतान करने की बात कही गयी. शिकायतकर्ता को 1,53,376.54 रुपये का भुगतान किया जाना है. यह शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया है कि उक्त गाड़ी जिला पदाधिकारी, औरंगाबाद की ही है.

सब जज-1 की अदालत ने दिया ऐतिहासिक फैसला

सब जज-1 की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि सारी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद स्कॉर्पियो को अभिरक्षा में लेने का निर्देश दिया जाता है. इसकी सूचना औरंगाबाद के जिलाधिकारी, विधि शाखा के प्रभारी पदाधिकारी, जिला नजारत शाखा सहित अन्य को दी जाये कि वह किसी परिस्थिति में गाड़ी की बिक्री नहीं करेंगे. गाड़ी का स्थानांतरण नहीं होगा और ना ही उसके स्वरूप में किसी प्रकार का परिवर्तन किया जायेगा. गाड़ी की नीलामी की कार्रवाई पूरी कर पैसे को जमा करने का निर्देश दिया गया है.

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