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खेतों में पुआल जलाने वालों पर होगी कार्रवाई

अरवल : जिले में धान की कटनी हो शुरू हो रही है. हालांकि अभी कटनी का कार्य बहुत धीमा है, लेकिन अगले पंद्रह दिनों में धान की कटनी तेजी से होगी. किसान कटनी के बाद खेतों में पुआल को जला देते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने कहा कि […]

अरवल : जिले में धान की कटनी हो शुरू हो रही है. हालांकि अभी कटनी का कार्य बहुत धीमा है, लेकिन अगले पंद्रह दिनों में धान की कटनी तेजी से होगी. किसान कटनी के बाद खेतों में पुआल को जला देते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने कहा कि इस बार जिले के किसानों से अपील है कि कोई भी किसान अपने खेत में पुआल न जलाये.

इससे काफी क्षति होती है. किसानों के हित की बात करते हुए उन्होंने बताया कि धान के पुआल और गेहूं के डंठल जलाने से किसानों के उपज की क्षति होती है. अपनी सुविधा के लिए बड़े किसान इस को आसानी से जला देते हैं, लेकिन खेत के उपज की उन्हें कोई परवाह नहीं रहती है. बाद में किसान खाद यूरिया और डाइ जैसे उर्वरक का उपयोग करने लगते हैं. यदि खेत में डंठल नहीं जलाया जायेगा तो यूरिया, डाइ आदि का कम छिड़काव होगा.
उससे किसान को फायदा होगा. उन्होंने बताया कि जलाने से एक क्षति और होती है. खेत में जो नमी होती है वह सूख जाती है. जिससे किसान परेशान होकर खेत में पटवन के लिए पानी की तलाश करने लगते हैं. जब मिट्टी गर्म होती है तो खेत की नमी सूख जाती है. यदि इसको जलाया न जाये तो जल का कम उपयोग होगा और खेत में भी नमी बनी रहेगी.
कृषि पदाधिकारी ने कहा कि डीएम रविशंकर चौधरी ने सख्त हिदायत दिया है कि इस बार कटनी होने के बाद कोई भी किसान खेत में पुआल न जलाये. वहीं कृषि विभाग के सचिव का भी पत्र आ गया है कि यदि किसान खेत में लगे डंठल और पुआल को जलाते हैं और हमारे किसान सलाहकार रिपोर्ट करेगा तो सबसे पहले उस किसान का रजिस्ट्रेशन को ब्लॉक किया जायेगा.
वैसे किसानों पर जिला प्रशासन कार्रवाई करेगा. उनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जायेगा. तीन साल तक उन्हें लाभों से वंचित कर दिया जायेगा. वैसे किसान को चिह्नित कर विभाग में सूची भी बनायी जायेगी.
पुआल जलाने से पशुपालकों को होती हैं मुश्किलें : खेतों में पुआल जलाने से पशुपालकों को चारा की संकट उत्पन्न हो जाती है. जब पुआल नहीं जलेगा तो इससे पशुपालकों का एक व्यवसाय भी हो जायेगा. बड़े पशुपालक यदि विपर मशीन ले लेते हैं तो उन्हें काफी लाभ होगा. जो किसान अपने खेतों में धान कटवा कर पुआल को छोड़ देते हैं.
वैसे किसानों के खेतों में जाकर पशुपालक उस पुआल को मवेशी के लिए चारा बना सकते हैं. कृषि पदाधिकारी ने कहा कि बड़े किसानों को भी हम कहेंगे कि वे लोग भी अपने खेत में किसी भी प्रकार का डंठल न जलाएं. यदि इस तरह की बात हमारे पास आयेगी तो हम उस किसान को बख्शेंगे नहीं, अन्यथा वे लोग भी विपर मशीन का ही प्रयोग करें.
यदि जिस किसान के पास पशु नहीं है तो किस पशुपालक को अपना पुआल दे दें जिससे कि वह मवेशी का चारा बना सके. यदि बाहर के हार्वेस्टर से जो किसान का धान काटेंगे, उनके हार्वेस्टर मशीन के साथ विपर मशीन भी चलेगी. बिना मशीन का खेत में हार्वेस्टर धान काटते हुए पकड़ा गया तो हार्वेस्टर को भी जब्त किया जायेगा और हार्वेस्टर मालिक के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
विकास मेले में दी जायेगी जानकारी
आगामी 23 नवंबर को जिले के प्रत्येक पंचायत में विकास मेले का आयोजन किया जायेगा, जिसमें एक स्टॉल कृषि विभाग का भी रहेगा. जिसमें किसानों को पुआल नहीं जलाने के बारे में बताया जायेगा. साथ ही पुआल जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जायेगा.
विकास कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी

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