गरीबों का है सबसे बुरा हाल : ठंढ़ के कारण गरीबों का सबसे बुरा हाल है. इन्हें प्रशासन द्वारा अलाव की भी व्यवस्था नहीं की जा रही है. वही कंबल की भी व्यवस्था नहीं की जा रही है. इस कारण गरीब काफी परेशान हैं. ठंढ़ से बचना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. मजदूरी कर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने वाले मजदूरों के लिए तो जैसे यह ठंड कहर बरसा रही है. मजदूर ठंड की वजह से काम पर निकल भी नहीं पा रहे हैं.
स्वयंसेवी संगठन है गायब : नगर सहित जिले में कई स्वयंसेवी एवं स्वैच्छिक संगठन है. ऐसे संगठनों द्वारा समाज हित में काम करने का दावा किया जाता है. ऐसे लोग समाज से प्रशंसा भी लेना चाहते हैं. जबकि धरातल पर ऐसे संगठन समाज हित के लिए आगे नहीं आते हैं. इस ठंढ़ में गरीबों की सहायता के लिए इनका कहीं भी दर्शन नहीं हो रहा है. वहीं जनप्रतिनिधियों द्वारा इस मामले को लेकर सक्रियता नहीं दिखाई गई है. इसके परिणाम स्वरूप लोग ठंड से कांपने को विवश नजर आ रहे हैं.काम पर निकलने में लोग असहज कर रहे हैं महसूस : काम पर निकलने में लोग काफी असहज महसूस कर रहे हैं. ठंढ़ के कारण छोटे बच्चों और बीमार लोगों को भी परेशानी का सामना करना रहा है. मौसम में बदलाव के कारण बीमारी का प्रकोप भी काफी बढ़ सकता है. लोग सर्दी, खांसी, बुखार जैसी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं.
सब्जियों पर पाला पड़ने का बढ़ गया है भय : ठंढ़ व कनकनी का यही हाल रहा तो सब्जियों की खेती पर भी ठंड का असर पड़ेगा. पाला मारने के खतरे को लेकर किसान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. इससे सब्जियों के दाम में तेजी आने की संभावना है. इसे लेकर कृषि वैज्ञानिक सह कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व हेड डॉ पीके द्विवेदी ने बताया कि आलू के फसल को ठंढ के कारण पाला का असर हो सकता है. आलू के फसल को पानी से पटाने पर पाला से बचाव हो सकता है. वहीं टमाटर एवं अन्य पत्ते वाले सब्जियों को भी नुकसान पहुंच सकता है. पाला से हानि हो सकती है.
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