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Bhojpuri News : सूर्य की अरुणिमा में नहायी आस्था, पहला अर्घ आज

सोमवार की शाम को छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देंगे.

आरा. सोमवार की शाम को छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देंगे. जिले में छठ व्रत को लेकर भक्तिमय माहौल है. हर तरफ भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ गीतों की धुनें गूंज रही हैं. रविवार की शाम खरना व्रत संपन्न हुआ. नगर के 15 प्रमुख छठ घाटों पर श्रद्धालु भगवान सूर्य को अर्घ देंगे. पूर्व में लगभग 20 घाट थे, लेकिन अतिक्रमण के कारण अब केवल 15 बच गये हैं. नगर पंचायत ने घाटों पर प्रकाश और पानी की व्यवस्था, सड़कों एवं गलियों की मरम्मत सुनिश्चित की है. हालांकि, स्नान के बाद चेंजिंग रूम की व्यवस्था नहीं होने से व्रतियों को परेशानी हो सकती है. गहरे पानी वाले क्षेत्रों में बैरिकेडिंग कर सुरक्षा बढ़ायी गयी है.

कलेक्ट्रेट छठ घाट :

बाबू बाजार, मौलाबाग, हरि जी का हाता, महावीर टोला, गोला मुहल्ला, तरी मुहल्ला, चौधरियाना सहित कई मुहल्लों के व्रती आते हैं.

गांगी छठ घाट :

गौसगंज, मीरगंज, सिंगही, छोटी सिंगही, सतपहाड़ी आदि मुहल्लों के व्रती पहुंचते हैं. नहर छठ घाट : आरा डिहरी मेन केनाल में अहीरपुरवा, नवादा, बहिरो, शिवपुर, आनंद नगर, धरहरा सहित अन्य मुहल्लों के लोग.

पावरगंज छठ घाट :

तीन-चार मुहल्लों के व्रती. नवीन पुलिस केंद्र छठ घाट : वशिष्ठ नगर, वशिष्ठ पुरी, महाराणा प्रताप नगर, रामनगर, कश्यप नगर सहित दर्जनों मुहल्लों के लोग. चंदवा सूर्य मंदिर छठ घाट : चंदवा, अवधपुरी, कृष्णा नगर, रामनगर आदि के व्रती. छठ व्रती पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सुकर्मा योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देंगे, वहीं मंगलवार को त्रिपुष्कर एवं रवियोग में उगते सूर्य को अर्घ देकर चार दिवसीय महापर्व का समापन पारण के साथ करेंगे.

हर घर में भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित गीत

आरा. रविवार को खरना का व्रत संपन्न हुआ. महिलाओं ने सुबह से ही तैयारी शुरू कर शाम को खरना का प्रसाद बनाया. इस दौरान व्रतधारियों ने भगवान सूर्य को भोग लगाया और स्वयं तथा अपने परिजनों को प्रसाद ग्रहण कराया. आसपास के घरों में भी प्रसाद के रूप में खीर भेजी गयी. हर तरफ छठ व्रतियों के घरों में भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित गीत गाये गये. कर्णप्रिय छठ गीतों से वातावरण भक्तिमय हो उठा और लोग भगवान भास्करनाथ की आराधना में लीन हो गये. खरना का पारंपरिक प्रसाद : छठ व्रती महिलाओं ने चावल और गुड़/गन्ने के रस से खीर बनायी, जिसे मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से पकाया गया. प्रसाद में नमक और चीनी का प्रयोग नहीं किया गया. इसके अलावा मूली और केला भी पूजा के प्रसाद के रूप में ग्रहण किया गया. घाटों पर स्नान और आराधना : खरना बनाने से पहले व्रतियों ने नदी घाटों, सरोवरों और तालाबों में स्नान किया. घाटों पर भी भगवान सूर्य को समर्पित गीतों के बीच छठ व्रती महिलाओं की भीड़ रही.

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