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नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू

खरना आज, 36 घंटे निर्जला उपवास रहेंगे छठव्रती, पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़

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आरा.

लोक आस्था, प्रकृति पर्व, शारीरिक एवं मानसिक संयम का चार दिवसीय छठ महापर्व मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. सुबह में ही व्रत रखनेवाली महिलाओं ने तैयारी की एवं भगवान सूर्य को समर्पित गीत गाते नदी घाटों पर पहुंचीं. घाटों पर पहुंच कर पवित्र नदियों में डुबकी लगायी. इससे पूरा वातावरण अध्यात्ममय लगने लगा. स्नान के बाद व्रतियों ने नये कपड़े धारण किये. इसमें पीला और लाल रंग के कपड़ों की विशेष महत्ता होती है. कई व्रती महिलाओं ने छठ घाटों पर, तो कई ने घर पहुंच कर बनाया प्रसाद : नहाय-खाय को लेकर कई व्रती महिलाओं ने छठ घाटों पर ही भोजन बनाया तथा उसका पारण किया. वहीं अधिकांश व्रतियों ने घर पहुंच कर भोजन बनाया. दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद बनाकर छठव्रती महिलाओं ने ग्रहण किया. व्रत रखनेवाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्यों ने भोजन किया. भोजन में सेंधा नमक का उपयोग किया. वहीं प्रसाद के रूप में आस-पड़ोस के लोगों तथा सगे संबंधियों को भोजन कराया गया. व्रत का भोजन लकड़ी के चूल्हे पर बनाया गया. चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही उपयोग किया गया.

भोजन बनाकर व्रती महिलाओं ने सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया. आज नहाय-खाय से छठ का समापन होने तक व्रती जमीन पर ही सोयेंगे. शहर से गांव तक आस्था के रंग में रंग गये हैं लोग : शहर से लेकर गांव तक पूरा वातावरण आस्था के रंग में रंग गया है. हर तरफ छठी मैया के गीत ही सुनाई दे रहे हैं. जिनके घर में छठ व्रत हो रहा है या फिर जिनके घर में छठ व्रत नहीं हो रहा है, सभी एक सुर से भगवान भास्कर नाथ के व्रत को लेकर मानसिक रूप से रंगे हुए दिखाई दे रहे हैं. छठ व्रतियों की सुविधा के लिए उनका परिवार उनके सहयोग में लगा हुआ है.

खरीदारी को लेकर बाजार में भीड़ से चलना है मुश्किल :

छठ व्रतियों द्वारा पूजा की सामान की खरीदारी को लेकर बाजार में काफी भीड़ भाड़ की स्थिति है. सभी दुकानों पर काफी संख्या में लोग पहुंच कर खरीदारी कर रहे हैं. शरीफा, संतरा, नारियल, ईख, गागल ,अनानास सहित अन्य पूजा के सामान की खरीदारी की जा रही है. नहाय-खाय के दिन कद्दू खाने के पीछे धार्मिक मान्यताओं के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है. इस दिन प्रसाद के रूप में कद्दू-भात ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास पर रहती हैं. कद्दू खाने से शरीर को अनेक प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं. कद्दू में पर्याप्त मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट, पानी पाया जाता है. इसके अलावा ये हमारे शरीर में शुगर लेवल को भी बरकरार रखता है. कद्दू को इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर खाया जाता है,जो व्रतियों को 36 घंटे के उपवास में मदद करता है. एंटीऑक्सिडेंट ( प्रतिउपचायक ) शरीर में उत्पादित यौगिक होते हैं.ये खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं.वे कोशिकाओं को मुक्त कणों के रूप में जाने वाले संभावित हानिकारक अणुओं से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं. जब मुक्त कण जमा होते हैं, तो वे ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बन सकते हैं. वहीं, पीरो अनुमंडल मुख्यालय से सटे बहरी महादेव धाम स्थित सूर्य मंदिर के समक्ष अर्ध्य अर्पित करने के लिए आने वाले छठव्रतियों की सुविधा के लिए यहां मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा आवश्यक इंतजाम किये गये हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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