पीरो.
स्थानीय जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक उदासीनता का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि पीरो नगर परिषद जैसे शहर में आम लोगों के हित के लिए कोई बड़ा पार्क तो दूर की बात है एक चिल्ड्रन पार्क भी नहीं है. पार्क के नाम पर पीरो प्रखंड के कार्यालय के सामने एक छोटा पार्क बनाया तो गया और उसमें बच्चों के खेलने के लिए कुछ उपस्कर भी लगाये गये हैं, लेकिन उसमें जाने के लिए प्रति बच्चों से राशि की वसूली की जाती है.उक्त पार्क में अगर एक साथ दस बच्चे चले जाएं तो उनके खेलने के लिए जगह ही कम पड़ जायेगी. इधर शहर में अतिक्रमण हटाये जाने के बाद दुकानें, ऑटो, टेंपू स्टैंड, बाइक स्टैंड जैसे कार्यों के लिए स्थलों का चयन तो किया जा रहा है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के साथ ही शहर की सुंदरता बढ़ाने को लेकर अभी भी प्रशासनिक और नगर निकाय के स्तर पर कोई चर्चा नहीं की जा रही है. जबकि स्थानीय आम लोगों में इस बात को लेकर चर्चा भी शुरू हो गयी है और इसको लेकर मांग भी उठने लगा है. सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रख्यात होमियोपैथी चिकित्सक डाॅ कुंदन पटेल ने शहर में चिल्ड्रन पार्क को जरूरी बताते हुए कहा कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास तथा सुबह शाम महिलाओं के बैठने के लिए शहरी क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में एक चिल्ड्रन पार्क जरूरी है. चिल्ड्रन पार्क बनाने से बच्चों को खेलने कूदने के जगह मिलेगी वही घरेलू महिलाओं को भी सुबह शाम टहलने के लिए एक जगह हो जायगी, लेकिन स्थानीय प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान सिर्फ दुकानें और स्टैंड बनाने में है. डाॅ पटेल ने कहा कि सिर्फ सिर्फ आय के साधन पैदा करना ही प्रशासन की जिम्मेवारी नही बल्कि लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का भी जिम्मेवारी है. डाॅ पटेल समेत कई स्थानीय लोगो ने फिलहाल पीरो शहर के पुराने स्टेशन रोड मैदान, लोहिया चौक के समीप सिंचाई विभाग के खाली पड़े जमीन, गांधी चौक और बस पड़ाव के समीप तत्काल चिल्ड्रन पार्क बनाने की मांग की है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसको ले जन आंदोलन भी शुरू किया जायेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

