अररिया. सक्ष्मता परीक्षा उत्तीर्णता के बाद सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा प्रदान किया गया. यह निर्णय लंबे संघर्ष के बाद शिक्षकों के लिए एक उपलब्धि थी. राज्यकर्मी बनने के साथ नियमावली के अनुसार उन्हें जो वेतन मिल रहा था. उनके समस्थानिक इंडेक्स के आधार पर वेतन भुगतान करना था. लेकिन आश्चर्यजनक व दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि इस दर्जे के 08 माह बाद भी शिक्षकों को वेतन के मामले में गंभीर अन्याय का सामना करना पड़ रहा है. राज्यकर्मी बनने के बावजूद ढाई लाख शिक्षकों को वर्तमान में जो वेतन दिया जा रहा है, वह उनके पूर्व नियोजित शिक्षक रहते मिलने वाले वेतन से भी 10, 000 से 15,000 तक कम है. यह स्थिति न केवल अनुचित है. बल्कि शिक्षकों के आत्मसम्मान व अधिकारों के साथ सीधा खिलवाड़ है. इस संबंध में संगठन की ओर से बार-बार विभाग को पत्राचार किया गया. ज्ञापन सौंपे गये व अधिकारियों का ध्यान इस विसंगति की ओर आकर्षित कराया गया. किंतु बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. शिक्षकों की इस समस्या की लगातार अनदेखी से गहरी नाराजगी व आक्रोश है. इसी संदर्भ में विशिष्ट अध्यापक प्रधान शिक्षक संघ अररिया की ओर से रविवार को नेताजी सुभाष स्टेडियम अररिया में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. बैठक में जिले के दर्जनों शिक्षकों ने भाग लिया. गहन विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि अब इस प्रकरण को लेकर माननीय पटना उच्च न्यायालय में वाद दायर किया जायेगा. मौके पर जिलाध्यक्ष प्रशांत कुमार, राज्य प्रतिनिधि मो माजुउद्दीन, वरीय उपाध्यक्ष इमरान आलम, उपाध्यक्ष शम्स रेजा, कमरुजज्मा, अब्दुल रहमान, मनोज सादा, दीपक झा, मनोज कुमार मंडल, मनोज तमाम, रंजीत कुमार, राजेश पासवान, अजय चौधरी, दिनेश पासवान, साइम अनवर, साकिब आलम, शाहजहां, इमरान आलम, हसनैन अहमद रहमानी, सतेंद्न कुमार रजक, संतोष पासवान सहित दर्जनों शिक्षक प्रतिनिधि मौजूद थे.
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