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पत्नी की हत्या मामले में पति को उम्रकैद

युवक ने पड़ोस में रहने वाली लड़की से किया था प्रेम विवाह

प्रतिनिधि, अररिया

न्यायमण्डल अररिया के जिला एवं चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार की अदालत ने पड़ोसी संग प्रेम विवाह करने के महज दो वर्षों में ही प्रेमी पति ने दहेज की मांग पूरी नही करने पर पत्नी की हत्या करने का मामला प्रमाणित होने पर जिले के पलासी थाना क्षेत्र के भट्ठा बाड़ी वार्ड दो का रहने वाला दोषी पति 25 वर्षीय मिथुन मंडल उर्फ शिव कुमार पिता उदरानंद मंडल को आजीवन कारावास की सज़ा सुनायी गयी है. पति को आजीवन कारावास की सजा के अलावा 05 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है. वहीं जुर्माने की राशि अदा नही करने पर 06 माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतने का आदेश भी जारी किया गया है. सरकार की ओर से एपीपी प्रभा ने बताया कि यह सजा स्पीडी ट्रॉयल के तहत एसटी 200/2022 में सुनाया गया है.

दहेज लोभियों ने जहर देकर की थी मधु की हत्या

मालूम हो कि इस मामले में दोषी मिथुन के नामजद माता-पिता सहित 06 बहनों के विरुद्ध अनुसंधान जारी है. एपीपी प्रभा कुमारी मंडल ने बताया कि आरोपी की शादी प्रेम विवाह के तहत गांव के हीं पड़ोसी कृत्यानंद मंडल व गीता देवी की पुत्री मधु के साथ घटना के 02 वर्ष पहले हुई थी. बताया गया कि शादी के 06 महीने बाद से हीं आरोपी पति व उनके परिजनों के द्वारा मधु देवी से 50 हज़ार रुपये दहेज की मांग की जाने लगी. मांग पूरी नही होने पर मधु देवी के साथ मारपीट व दहेज के लिये प्रताड़ित किया जाने लगा. एपीपी प्रभा कुमारी मंडल ने बताया कि 11 अप्रैल 2019 की रात लगभग 09 बजे आरोपी व उसके परिजनों ने मिलकर मधु देवी को लाठी डंडे से मारपीट किया व जबरन उसे जहर पिला दिया. जिससे मधु देवी की मृत्यु हो गई. एपीपी प्रभा कुमारी मंडल ने बताया कि मृतिका मधु देवी के पोस्टमार्टम के बाद उसके भिसरा को जांच के लिए एफएसएल पटना भेजा गया. जहां जांच में उसके भिसरा में उच्च जहरीला पदार्थ एल्युमिनियम फॉस्फाइड पाया गया. जिसे आम बोलचाल की भाषा में सल्फास कहते हैं. इस मामले में मृतका की मां गीता देवी ने 12 अप्रैल 2019 को आरोपित सहित उनके 08 परिजनों को नामजद किया था. जहां पलासी थाना कांड संख्या 107/2019 दर्ज किया गया. इस मामले में केस आइओ ने आरोप पत्र 30 जनवरी 2020 को न्यायालय में समर्पित किया था. जहां 04 जून 2020 को संज्ञान लिया गया. तत्पश्चात 26 मई 2022 को आरोप गठन (चार्जफ्रेम) किया गया. आरोप गठन (चार्जफ्रेम) के बिंदु पर पति ने अपने आप को निर्दोष होने की बातें कही थी. साक्ष्यों के बयान से संतुष्ट होकर न्यायाधीश रवि कुमार ने पति को भादवि की धारा 304(बी) में दोषी पाया. वहीं सजा के बिंदु पर बचाव पक्ष से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कम से कम सजा देने की गुहार लगायी थी.

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