भरगामा. सुकेला जमुवान में आयोजित बिहार प्रांतीय भारती संतमत सत्संग का 23 वां वार्षिक विशेषाधिवेशन के समापन के अवसर पर स्वामी वेदानंद जी महाराज ने कहा कि आवागमन के समान कोई दुख नहीं है. सभी दुखों में यह प्रधान दुख है. इसे हटाने के लिए प्रभु के पास जाना होगा. एक ईश्वर पर अटल विश्वास होना चाहिए. परमात्मा की प्राप्ति अपने ही अंदर होती है. जब दर्शन होता है तो जीव का कल्याण हो जाता है. उन्होंने कहा कि घट घट में परमात्मा का निवास है, भक्ति का मार्ग सूक्ष्म मार्ग होकर जाता है. ईश्वर की भक्ति से भक्ति रस का पान होता है. झूठ, चोरी, हिंसा, नशा, व्यभिचार का त्याग हर मानव को करना चाहिए. स्वामी जी ने भक्ति मार्ग की सूक्ष्मता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मार्ग बहुत सरल भी है व बहुत कठिन भी, यह सरल तब है जब हृदय में विनम्रता व सद्भाव हो. यह कठिन तब हो जाता है जब मन में अहंकार, लोभ व द्वेष भरा हो. उन्होंने कहा कि ईश्वर किसी मंदिर, मस्जिद, चर्च या मूर्ति में सीमित नहीं हैं. परमात्मा हर जीव-जंतु, हर हृदय व हर कण-कण में विद्यमान हैं. जो इसे पहचान लेता है, वह किसी को आहत नहीं कर सकता. स्वामी जी ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि नशा, असत्य, भ्रष्टाचार व हिंसा ये चार दुश्मन मानव जीवन को खोखला कर देते हैं. मौके पर भाजपा सांसद प्रदीप सिंह, नरपतगंज विधायक देवयंती यादव ,भाजपा मंडल अध्यक्ष नित्यानंद मेहता, जिप सदस्य सत्यनारायण यादव, मुखिया प्रतिनिधि विजय कुमार चौपाल, रामानंद मंडल सत्संग स्थल पर पहुंच स्वामी वेदानंद जी महाराज समेत अन्य संत महात्माओं से आशीर्वाद प्राप्त किया. सत्यनारायण जी ब्रह्मचारी ने अपने प्रवचन में कहा कि संतमत का स्वरूप सभी धार्मिक ग्रंथों के समरूप है. सद्गुरु के शिक्षा के बिना परमात्मा की भक्ति नहीं हो सकती है. लाभ सद्गुरु की शिक्षा के बाद ही मिलेगा. मौके पर जगप्रानंद जी महाराज, रामा रमण जी महाराज, निरंजन जी महाराज, रविशंकरानंद जी महाराज, दयानंद जी महाराज, सुबोधानंद जी महाराज, गुलाबानद जी महाराज, अमितानंद जी महाराज, मंत्री संजय सत्यार्थी मुख्य रूप से उपस्थित थे. सत्संग से बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे.
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