फारबिसगंज. शहर के तेरापंथ भवन में सोमवार को आत्म साधना व आत्म अराधना का पर्युषण महापर्व के छठे दिन जप दिवस मनाया गया. व्यक्ति त्याग व तपस्या के द्वारा अपने इंद्रिय मन व चित्त को संयमित करते हुए अपनी आत्मा के निकट जाने का प्रयास करता है. आत्मा के निकट जाने के लिए व्यक्ति के द्वारा गृहीत किए हुए व्रत, जप व ध्यान उसे परमात्मा में लीन होने का मार्ग अग्रसर करते हैं. किस प्रकार एक शब्द की आवृत्ति करते हुए व्यक्ति परमात्मा पद को प्राप्त करता है ऐसी ही कला को सिखाता हैं जप दिवस. उपासक सुशील बाफना ने बताया मंत्र के द्वारा मनोबल का विकास किया जा सकता है. नमस्कार महामंत्र, ऊ भिक्षु का जाप नित्य करणीय है. मंत्र एक समाधान पुस्तक के माध्यम से आचार्य महाप्रज्ञ ने काफी मंत्रों का उल्लेख किया है. उपासक सुमेरमल बैद ने बताया कि जब बार बार एक ही शब्दों की आवर्ती की जाती है तब वो ही जप कहलाती है. आध्यात्मिक चिकित्सा में मंत्र बहुत उपयोगी है. कार्यक्रम की शुरूआत कन्या मंडल की बहनों के द्वारा मंगलाचरण से की गई. आचार्य भिक्षु के सिद्धांत की चर्चा करते हुए उपासक द्वय ने बताया शुद्ध साधना के लिए शुद्ध साध्य की जरूरत होती है. लोकोत्तर दान-दया, भाव पूजा के बारे में बताते हुए सभी को विधायक दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया. इसके साथ-साथ उन्होंने आचार के चार बिंदु आस्था आगम,आज्ञा ,आराधना के साथ विचार के चार बिंदु- विनय, विवेक, वैराग्य, विधायक भाव की चर्चा की. तेरापंथ समाज के वरिष्ठ सदस्य निर्मल मरोठी ने बताया कि जप शब्द में ज का अर्थ है जन्म जन्म को नाश करने वाला और प शब्द का अर्थ है जो पाप का नाश करने वाला अर्थात जप के द्वारा हम जन्म जन्मांतर की कड़ी को रोक सकते हैं. अपने पापों का नाश कर सकते हैं. सभी धर्मों में जप की महिमा को जाना व माना है.
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