निंदनीय . डायन कह अादिवासी महिला की हत्या के बाद पूछ रहा समाज
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कब थमेगा मौत का सिलसिला
निंदनीय . डायन कह अादिवासी महिला की हत्या के बाद पूछ रहा समाज इस आधुनिक युग में लोग मंगल ग्रह पर जाने की सोच रहा हैं. दूसरी तरफ समाज में अंधविश्वास में एक महिला को डायन करार देकर अपने ही पुत्र की मौत के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. इतना ही नहीं उसकी पीट-पीट […]
इस आधुनिक युग में लोग मंगल ग्रह पर जाने की सोच रहा हैं. दूसरी तरफ समाज में अंधविश्वास में एक महिला को डायन करार देकर अपने ही पुत्र की मौत के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. इतना ही नहीं उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है. इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है.
अररिया : आज हम 21वीं सदी में पहुंच कर जहां फोर जी व फाइव जी की बात कर रहे हैं वहीं देश की आधी अाबादी अब भी अंधविश्वास के कारण कहीं प्रताड़ित तो कही मौत के घाट उतारी जा रही है. अपने मायके से जब कोई लड़की ससुराल पहुंचती हैं तो वहां उसका सबसे बड़ा साथी पति ही होता है.
लेकिन जब वही पति जान का दुश्मन बन बैठे तो फिर वही होता है, जो रानीगंज के कालाबलुआ निवासी आदिवासी महिला हप्पनमया के साथ हुआ. भला यह कैसे हो सकता है कोई मां अपने ही तीन वर्षीय पुत्र की जान ले लेगी. लेकिन हप्पनमाया के पति छोटे लाल हांसदा के दिमाग में भरे अंधविश्वास के कीड़े को कौन निकाले जिसने कोख से जने पुत्र की मौत का आरोप भी एक मां के कोख पर ही लाद दिया. मानवता को शर्मसार करते हुए पीट-पीट कर हप्पनमाया की हत्या कर दी. हालांकि जिले में डायन प्रताड़ना का यह पहला मौका नहीं है, बल्कि डायन कह कर कितने ही अबलाओं की हत्या अंधविश्वास के ठेकेदारों ने सामाजिक स्तर पर कर दी है.
दर्ज हैं कई मामले
रानीगंज थाना में अंकित कांड संख्या 09/11 में ठेकपुरा गांव में डायन प्रताड़ना का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में पीड़ित महिला सुरती देवी पति दीप नारायण साह का अपहरण कर लिया गया था. जब अपहृता बरामद हुई तो उसने थानाध्यक्ष के सामने जो बयान दिया वह चौंकाने वाला था. उसने पुलिस को बताया था कि डायन का शक होने के कारण उसका अपहरण किया गया था. मामले में नौ लोगों के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. वहीं इलाज के दौरान हप्पनमय के फर्द बयान के आधार पर भी कांड संख्या 231/16 दर्ज कर पति समेत छह लोगों को नामजद किया गया है,
जबकि 22 जुलाई 16 को सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंची महिला को भी डायन कह कर ही मारा-पीटा गया था. भरगामा थाना क्षेत्र निवासी रीना देवी पति सदानंद साह ने छह जून को महिला थाना अररिया में आवेदन देकर नौ लोगों के विरुद्ध डायन कह कर मैला पिलाये जाने का मामला दर्ज कराया था. इसके अलावा भी जिले के विभिन्न थाना में डायन प्रताड़ना के दर्जनों मामला दर्ज है.
सामाजिक जागरूकता से ही रुक सकता अत्याचार
गैर सरकारी संगठन रूरल लिटिगेशन एंड एनटसइटिलमेंट द्वारा तीन वर्ष पूर्व किये गये अध्ययन से यह बात सामने आयी थी कि प्रति वर्ष देश भर में दो सौ महिलाओं की हत्या डायन बता कर कर दी जाती है. लेकिन ताजा आंकड़ों में भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. बिहार में प्रतिवर्ष 50 से 60 महिलाएं डायन प्रथा की भेंट चढ़ा दी जाती हैं, जबकि डायन कह कर प्रताड़ित करने के मामले सैकड़ों में हैं. जिले के गांव व कस्बों में डायन प्रथा का जारी रहना सामाजिक और कानूनी कमी को दर्शाता है. सामाजिक स्तर पर आज भी लगता है कि लोग अंधविश्वासी और पिछड़े हुए हैं
. दहेज प्रथा, दुष्कर्म व ऑनर किलिंग आदि मामलों में सैकड़ों आवाज उठने लगती हैं. लेकिन डायन कह कर मारी जा रही सैकड़ों महिलाओं की हत्या पर समाज व राजनीतिक संगठन चुप्पी साधे हुए हैं या यह कहें कि इन कुरीतियों के खिलाफ हम ईमानदारी से लड़ाई नहीं लड़ते हैं. हालांकि बिहार के मधेपुरा की मिठाही पंचायत में डायन प्रथा की रोकथाम के लिए साहसी व सराहनीय कदम उठाया गया. अगर वहां कोई व्यक्ति किसी महिला को डायन कह प्रताड़ित करेगा तो उसे 25 हजार रुपये का जुर्माना भरना होगा. ऐसे ही साहसी कदम उठाये जाने की जरूरत है
जिससे सामाजिक रूप में हो रहे महिलाओं के ऊपर अत्याचार को रोका जा सके. कालाबलुआ गांव में आदिवासी महिला की हत्या के बाद जो बातें सामने आ रही है, उसमें एक बात यह भी है कि आदिवासी गांवों में जहां अंधविश्वास बड़े पैमाने पर है और इलाज की सुविधाओं की भी हालत बुरी है. यहां पर इलाज ज्यादातर नीम हकीम के भरोसे चलता है. एक सर्वे बताता है कि वहां यह लोग अपने यौन सुख को पूरा करने के लिए महिलाओं का शोषण करते हैं. अगर उनके अनुसार काम नहीं हुआ तो फसल बरबाद होने, बीमारी और प्राकृतिक आपदाओं के लिए औरतों को जिम्मेवार ठहराने का षड़यंत्र रचते हैं.
रक लगाने को पुलिस करती है हर संभव काम
डायन प्रथा पर रोक लगाने के लिए पुलिस हर संभव काम करती है. दोषियों को सजा दिलाना हो या धरपकड़ करना हो पुलिस अपना काम ईमानदारी से करती है. लेकिन समाज में फैली इन कुरीतियों को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है. आज देश फोर जी व फाइव जी बात कर रहा है. लेकिन अंधविश्वास के कारण महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है, दु:खद है. लोगों को इन कुरीतियों के विरुद्ध शांतिपूर्ण तरीके से आवाज उठा कर कानून का साथ देना होगा.
सुधीर कुमार पोरिका, एसपी, अररिया
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