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नॉमिनी का फर्जी डॉक्यूमेंट बना निकाला पांच लाख का फिक्स डिपॉजिट
पटना : बैंक से नये तरीके का फर्जीवाड़ा सामने आया है. अब नाॅमिनी के हक का पैसा फर्जी डाॅक्यूमेंट के अाधार पर निकाला जा रहा है. फर्जीवाड़ा करनेवाले शख्स ने पांच लाख रुपये की निकासी की है. उसने एचडीएफसी बैंक की एक्जिबिशन रोड की शाखा से निकासी की और बिहटा के बंधन बैंक में अपने […]
पटना : बैंक से नये तरीके का फर्जीवाड़ा सामने आया है. अब नाॅमिनी के हक का पैसा फर्जी डाॅक्यूमेंट के अाधार पर निकाला जा रहा है. फर्जीवाड़ा करनेवाले शख्स ने पांच लाख रुपये की निकासी की है. उसने एचडीएफसी बैंक की एक्जिबिशन रोड की शाखा से निकासी की और बिहटा के बंधन बैंक में अपने नाम से जमा कर लिया है. असली नाॅमिनी को जब इस घटना की जानकारी हुई, तो वह गांधी मैदान थाने पहुंचा. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. दरअसल, कदमकुआं थाना क्षेत्र के बाकरगंज के रहनेवाले एक दंपति ने एचडीएफसी बैंक के एक्जिबिशन रोड शाखा में ज्वाइंट सेविंग एकाउंट खोल रखा था.
दोनों ने इस बैंक में पांच लाख रुपये का फिक्स डिपाॅजिट किया था. इसमें उन्होंने अपनी नाती अश्विनी कुमार को नाॅमिनी बनाया था. बेऊर थाना क्षेत्र की महावीर कॉलाेनी के रहने वाले अश्विनी के नाना-नानी की मृत्यु हो चुकी है. अब ये पैसा अश्विनी को मिलना था. लेकिन, इस बीच अश्विनी को जानने वाले बिहटा निवासी नीतीश कुमार को फिक्स डिपॉजिट की जानकारी हो गयी. नीतीश ने बड़ी साजिश रची और अश्विनी कुमार के नाम पर फर्जी डाॅक्यूमेंट बनवा लिया. नीतीश ने पैन कार्ड, वोटर आइडी, आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज अश्विनी कुमार के नाम पर बनवा लिया.
अश्विनी बनकर नीतीश ने निकाले पैसे
अश्विनी कुमार के नाम पर फर्जी डाॅक्यूमेंट तैयार कर नीतीश एक्जिबिशन रोड एचडीएफसी बैंक पहुंचा. वहां पर उसने पांच लाख रुपये की निकासी कर ली. इसके बाद यह पैसा उसने बिहटा के बंधन बैंक में जमा कर लिया. अश्विनी कुमार को जब इस घटना की जानकारी हुई, तो वह गांधी मैदान थाने में इसकी शिकायत की. इसके बाद धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया और आरोपित को पकड़ा गया. उससे पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
अगर बैंक में सेविंग एकाउंट है, तो फिक्स डिपाॅजिट करने में सिर्फ खाताधारक का डिटेल जमा करना होता है. खाताधारक जिसे नाॅमिनी बनाता है उसका हस्ताक्षर कराया जाता है. फोटो नहीं लगता है. लेकिन, जमाकर्ता को नाॅमिनी का नाम गोपनीय रखना होता है.
आरके लाल, सहायक महाप्रबंधक, इलाहाबाद बैंक, पटना
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