बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गया है. पटना हाईकोर्ट ने लापरवाही के लिए जिम्मेदार बिहार बोर्ड पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि पटना हाईकोर्ट को जुर्माना लगाने पर मजबूर होना पड़ा. पढ़िए पूरी रिपोर्ट.
पास छात्रा को कर दिया था फेल घोषित
पटना हाईकोर्ट ने बिहार बोर्ड पर 5 लाख रूपये का जुर्माना लगाया है. बिहार बोर्ड द्वारा लापरवाही बरतते हुए मैट्रिक पास छात्रा को फेल घोषित कर दिया गया था. इसे बड़ी चूक मानते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद यह आदेश दिया.
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मैट्रिक परीक्षा में संस्कृत में दिये थे 4 नंबर
पटना हाईकोर्ट ने सहरसा जिले के एक विद्यालय की छात्रा प्रियंका सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. प्रियंका ने इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा दी थी, जहां उसे संस्कृत में चार और विज्ञान में 29 अंक दिये गये थे.
सुनवाई से पहले छात्रा ने जमा करा दी थी राशि
रिज़ल्ट के बाद प्रियंका ने स्क्रूटनी में संस्कृत और विज्ञान का पुनर्मूल्यांकन कराया, तब संस्कृत में 9 और विज्ञान में सात अंक आए. इसके बाद छात्रा ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जहां कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रियंका के वकील को कहा कि अगर छात्रा के आरोप ग़लत पाये गये तब 40 हज़ार रुपए आर्थिक दंड लगेगा. छात्रा ने इस मामले की सुनवाई से पहले राशि जमा करा दी.
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कोर्ट के सामने जांची गयी कॉपी तो संस्कृत में 61 व विज्ञान में आए 80 अंक
बिहार बोर्ड ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान छात्रा की कॉपी जमा करायी, लेकिन इसमें हैंडराइटिंग किसी और की थी. अदालत की फटकार के बाद बोर्ड की ओर से प्रियंका की मूल कॉपी पेश की गई. इस दौरान बोर्ड ने यह बहाना बनाया कि बारकोडिंग ग़लत थी. इस कारण ऐसा हुआ है. जब कोर्ट के सामने कॉपी की जांच हुई, तब प्रियंका को संस्कृत में 61 और विज्ञान में 80 नंबर आए.
तीन महीने में खाता में राशि जमा कराने का आदेश
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि छात्रा प्रियंका और उसके अभिभावक को इस मामले के कारण मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा है, इसलिये 5 लाख रुपए की राशि अगले तीन महीने में उनके खाते में जमा की जाए.
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व्यवस्था में सुधार के लिए कमिटी गठन का आदेश
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्क्रूटनी में महज खानापूर्ति होती है. अदालत ने बोर्ड को व्यवस्था में सुधार लाने के लिए एक कमिटी का गठन करने का आदेश दिया. आपको बता दें कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पैसे लेकर अयोग्य अभ्यर्थियों को टॉप कराने के आरोप में बिहार बोर्ड के कई अधिकारी जेल में हैं.