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अब चिंतनशील और शांतचित्त मुक्केबाज बन गयी हूं : सरिता देवी

नयी दिल्ली : एशियाई खेलों में पदक वितरण समारोह के दौरान विरोध जताने के कारण एक साल का प्रतिबंध झेलने वाली पूर्व विश्व चैंपियन एल सरिता देवी ने कहा कि बाहर बैठने से उसे चिंतनशील मुक्केबाज और शांतचित्त इंसान बनने में मदद मिली. सरिता पर लगा प्रतिबंध कल समाप्त हो जाएगा. अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) […]

नयी दिल्ली : एशियाई खेलों में पदक वितरण समारोह के दौरान विरोध जताने के कारण एक साल का प्रतिबंध झेलने वाली पूर्व विश्व चैंपियन एल सरिता देवी ने कहा कि बाहर बैठने से उसे चिंतनशील मुक्केबाज और शांतचित्त इंसान बनने में मदद मिली.

सरिता पर लगा प्रतिबंध कल समाप्त हो जाएगा. अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने सरिता पर एशियाई खेलों के विवादास्पद सेमीफाइनल में हारने के बाद कांस्य पदक लेने से इन्कार करने के कारण एक साल का प्रतिबंध लगा दिया था. सरिता पोडियम पर लगातार रो रही थी और उन्होंने यहां तक कि कांसे का अपना तमगा रजत पदक विजेता दक्षिण कोरियाई पार्क जी ना को सौंप दिया जिससे वह सेमीफाइनल में हारी थी. इस भारतीय ने बाद में खेलों की आयोजन समिति और एबाईबीए से अपनी इस हरकत के लिये बिना शर्त माफी मांगी थी.

सरिता पर एक अक्तूबर 2014 से एक अक्तूबर 2015 तक प्रतिबंध लगाया गया. इसके अलावा उन पर 1000 स्विस फ्रैंक का जुर्माना भी किया गया. एशियाई खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता डिंको सिंह की देखरेख में औरंगाबाद में अभ्यास कर रही सरिता ने पीटीआई से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अब मैं कई बेहतर मुक्केबाज बन गयी हूं.

मैं पिछले 15 साल से मुक्केबाजी कर रही थी और अब भी सुधार की बहुत अधिक गुंजाइश है. आप सीखना कभी बंद नहीं करते. अब इस एक साल में मैं अधिक शांतचित्त और चिंतनशील मुक्केबाज बन गयी हूं. मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से अब मैं पहले से बेहतर बन गयी हूं.

” उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं पहले की तुलना में अधिक कडा अभ्यास कर रही हूं. मुझे काफी अपेक्षाएं पूरी करनी है. अभी मैं पूर्व ओलंपियन और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता डिंको सिंह की निगरानी में अभ्यास कर रही हूं. मेरा पहला लक्ष्य अगले साल विश्व खिताब जीतना और रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करके वहां स्वर्ण पदक जीतना है. ”

अगले साल विश्व चैंपियनशिप पर टिकी हैं जिससे वह वापसी करेंगी. सरिता ने कहा, ‘‘अगले साल विश्व चैंपियनशिप मेरी वापसी की प्रतियोगिता होगी. वह रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाईंग प्रतियोगिता भी है. विश्व चैंपियनशिप से कुछ दिन पहले मैं अभ्यास के यिले लिवरपूल जाउंगी. ” सरिता से पूछा गया कि उन्होंने पिछला एक साल कैसे बिताया उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आराम किया और अपनी दायीं कलाई का आपरेशन करवाया.

मुझे ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों से पहले यह चोट लग गयी थी और इंचियोन एशियाई खेलों में मैंने इसके साथ ही भाग लिया था. कुल मिलाकर यह कल की बात लग रही है. वक्त बहुत तेजी से आगे बढता है. ” इस दौरान सरिता का मनोबल बना रहा क्योंकि उन्होंने स्टार क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर सहित विभिन्न हलकों से समर्थन मिलता रहा.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे हर तरह से समर्थन मिला. केवल मेरे परिवार से ही नहीं बल्कि खेल मंत्रालय, भारत में मुक्केबाजी प्रशासन की तदर्थ समिति, मेरे प्रायोजक ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट, सचिन तेंदुलकर सर, मेरे साथी खिलाडीया और मेरे भारतीयों सभी का समर्थन मिला. मैं इन सभी की आभारी हूं.

” ओलंपिक कांस्य पदक विजेता एम सी मेरीकाम ने हाल कि यह दावा करके कि पूर्वोत्तर की होने के कारण उनके साथ भेदभाव किया जाता रहा है लेकिन सरिता ने कहा कि उन्हें कभी ऐसा अनुभव नहीं हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने करियर में कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया है. मेरा मानना है कि केवल खेल ही नहीं जिंदगी में कुछ भी आपकी मेरिट, कौशल के अनुसार होता है. ”

Prabhat Khabar Digital Desk
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