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यह है सफलता का राज : सिर्फ 30 सेकेंड में अपनी थकान दूर कर लेती हैं पीवी सिंधु

-पांच महीने तैयारी कर सिंधु ने पाया फेडरर-नडाल जैसा स्टेमिनानयी दिल्ली : ओलिंपिक 2016 से बड़े टूर्नामेंटों के फाइनल में पहुंचने के बाद सिंधु हार रही थीं. उनके खेल पर सवाल उठ रहे थे. इस वर्ष प्रतिष्ठित टूर्नामेंट ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के पहले राउंड में ही सिंधु के बाहर होने से चिंता बढ़ गयी. हार […]

-पांच महीने तैयारी कर सिंधु ने पाया फेडरर-नडाल जैसा स्टेमिना
नयी दिल्ली :
ओलिंपिक 2016 से बड़े टूर्नामेंटों के फाइनल में पहुंचने के बाद सिंधु हार रही थीं. उनके खेल पर सवाल उठ रहे थे. इस वर्ष प्रतिष्ठित टूर्नामेंट ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के पहले राउंड में ही सिंधु के बाहर होने से चिंता बढ़ गयी. हार का सिंधु के मनोबल पर भी असर पड़ा और यहीं से उसने अपने को बदलने का फैसला किया. पिता रमन्ना के मित्र सिकंदराबाद स्थित सुचित्रा बैडमिंटन एकेडमी के मालिक व अपने मित्र पूर्व शटलर प्रदीप राजू से मुलाकात की.

वहां स्ट्रेंथ ट्रेनर श्रीकांत वर्मा के साथ तैयारी शुरू कर दी. गोपीचंद एकेडमी में कड़ी ट्रेनिंग के बाद 60 किमी दूर सुचित्रा एकेडमी जाती और अभ्यास करती. सब कुछ वैज्ञानिक तरीके से हुआ. पाया गया कि वह अटैकिंग खेल के बजाय रैलियों में ज्यादा व्यस्त रहती है. सिंधु के एबडोमनल मसल्स (पेट की मांसपेशियां) भी कमजोर थीं और फ्रंट कोर्ट मूवमेंट पर इसका असर पड़ रहा था. मानसिक मजबूती के लिए सिंधु को मेडिटेशन भी कराया. वह प्रति दिन आधे घंटे अकेले बंद कमरे में मेडिटेशन करती हैं. इसका बहुत प्रभाव पड़ा है और वह पहले से फिट होने लगीं.

मेडिटेशन: मेडिटेशन करना शुरू किया. हर दिन आधे घंटे के लिए बंद कमरे में अकेले मेडिटेशन करती हैं.

धड़कन : सिंधु को दिल की धड़कन को अपनी अधिकतम गति से दोबारा सामान्य गति में लौटने में महज 30 से 35 सेकेंड का समय लगता है.

कोर मसल्स : कोर मसल्स कमजोर थे, जिसकी मजबूती के लिए काम किया.

ग्लूट : ग्लूट (हिप) मसल्स में भी ट्रेनर ने कमजोरी पायी और उस पर काम किया.

स्टांस: स्टांस पर भी काम किया. पहले उनका डिफेंस स्टांस बहुत वाइड होता था, लेकिन अब वह नैरो स्टांस के साथ खड़ी होती हैं.

-एक मामले में तो सिंधु की बॉडी रोजर, नडाल और जोको से भी बेहतर है. पीक पर भी उनके दिल की धड़कन 190 बीट्स/मिनट की रफ्तार तक ही पहुंच पाती है. अमूमन ऐसा नहीं होता है. सामान्यत: बड़े एथलीटों की धड़कन 200बीट्स/मिनट की रफ्तार तक पहुंच जाती है. सिंधु की बॉडी की यह खासियत उन्हें अन्य ऐथलीटों से बेहतर होने का मौका देती है.

-सिंधु के कोर (अबडोमनल मसल्स) कमजोर थे और वह 35 सेकंड तक भी प्लैंक (पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए एक्सरसाइज) नहीं कर पाती थीं, लेकिन कड़ी ट्रेनिंग के बाद अब वह 3 मिनट से ज्यादा प्लैंक कर लेती हैं.

30 सेकेंड में दिल की घड़कन को सामान्य कर लेती हैं सिंधु

ट्रेनिंग के बाद सिंधु अब 30 सेकेण्ड में अपनी धड़कन के सामान्य कर लेती है, जो बहुत ही कम एथलीटों में होती हैं. कड़ी मेहनत करने या किसी काम में पूरी ऊर्जा डालने के बाद उनके दिल की धड़कन जब बहुत तेज हो जाती है, तो उसे सामान्य होने में महज 30-35 सेकंड का समय लगता है. टेनिस की त्रिमूर्ति रोजर फेडरर, राफेल नडाल और नोवाक जोकोविच के साथ भी कुछ ऐसा ही है. इनके दिल की धड़कन को भी सामान्य होने में 30 से 35 सेकंड का समय लगता है. यानी अन्य प्लेयर की तुलना में ये अपनी थकावट से जल्दी उबर जाते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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