नयी दिल्ली : पीवी सिंधू ने नयी उपलब्धियां हासिल की लेकिन वह किदांबी श्रीकांत रहे जिन्होंने भारतीय बैडमिंटन में परचम लहराते हुए अधिक खिताब जीते जिससे पुरष खिलाड़ियों ने सत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए नयी इबारत लिखी.
इस साल दुनिया भर के स्टेडियमों में कई मौकों पर राष्ट्रगान बजता सुनाई दिया क्योंकि सिंधू और श्रीकांत ने कई एलीट बैडमिंटन टूर्नामेंट के पोडियम पर जगह बनाई. सिंधू ने तीन खिताब और तीन रजत पदक के साथ विश्व की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बीच अपना दावा पुख्ता किया तो वहीं श्रीकांत ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए चार खिताब जीते जबकि एक टूर्नामेंट में वह उप विजेता रहे.
वर्ष 2017 में पुरष खिलाड़ी अपनी साथी महिला खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहे जिसमें बी साई प्रणीत और एचएस प्रणय ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया. साइना नेहवाल भी मजबूत वापसी करने में सफल रही जबकि युगल खिलाड़ियों ने भी छाप छोड़ी. भारत ने तौफीक हिदायत को कोचिंग दे चुके इंडोनेशिया के मुल्यो हंडोयो को भी कोच नियुक्त किया.
भारतीय बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष डा. अखिलेश दास गुप्ता का निधन दुख भरी खबर रही जिसके बाद डा. हिमांत बिस्व शर्मा ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली. साल का आकर्षण हालांकि सिंधू के कुछ कड़े मैच रहे जिन्हें लंबे समय तक भूला नहीं जा सकेगा. बाइस साल की सिंधू को जापान की नोजोमी ओकुहारा के खिलाफ 110 मिनट चले रोमांचक फाइनल में हार झेलनी पड़ी.
इसके अलावा कोरिया ओपन और दुबई सुपर सीरीज फाइनल के खिताबी मुकाबले भी उनके लिए भावनात्मक रुप से थकाने वाले रहे. हैदराबाद की इस खिलाड़ी को विश्व चैंपियनशिप, हांगकांग ओपन और दुबई सुपर सीरीज फाइनल के खिताबी मुकाबले में हार झेलनी पड़ी लेकिन वह दो सुपर सीरीज इंडिया ओपन तथा कोरिया ओपन और सैयद मोदी ग्रां प्री का खिताब जीतने में सफल रही. दूसरी तरफ श्रीकांत एक सत्र में चार सुपर सीरीज जीतने वाले पहले भारतीय बने. उनसे पहले महान खिलाड़ी लिन डैन, ली चोंग वेई और चेन लोंग ही यह उपलब्धि हासिल कर पाए हैं.