30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हॉकी विश्व लीग फाइनल : भारत का पहला मुकाबला वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से

भुवनेश्वर : एशियाई हॉकी की सिरमौर भारतीय टीम कल से यहां शुरू हो रहे विश्व हॉकी लीग फाइनल के तीसरे और आखिरी सत्र में उतरेगी तो उसका इरादा दुनिया की दिग्गज अंतरराष्ट्रीय टीमों के बीच अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ने का होगा. भारत हॉकी विश्व लीग फाइनल में पूल बी में पिछली चैम्पियन और विश्व […]

भुवनेश्वर : एशियाई हॉकी की सिरमौर भारतीय टीम कल से यहां शुरू हो रहे विश्व हॉकी लीग फाइनल के तीसरे और आखिरी सत्र में उतरेगी तो उसका इरादा दुनिया की दिग्गज अंतरराष्ट्रीय टीमों के बीच अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ने का होगा.

भारत हॉकी विश्व लीग फाइनल में पूल बी में पिछली चैम्पियन और विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला मैच खेलेगा. कुछेक मैचों को छोड़ दें तो उपमहाद्वीप में भारतीय टीम का दबदबा रहा है और हाल ही में ढाका में भारत ने एशिया कप में खिताबी जीत दर्ज की. आठ बार के ओलंपिक चैम्पियन भारत के पास इस टूर्नामेंट के जरिये यह साबित करने का सुनहरा मौका है कि उसमें एशिया के बाहर भी अपना दबदबा कायम करने का माद्दा है.

दुनिया की दूसरे नंबर की टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को पिछले कुछ समय में ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है. ऑस्ट्रेलिया ने उसे चैम्पियंस ट्रॉफी, अजलन शाह और राष्ट्रमंडल खेलों में मात दी. आठ देशों के इस टूर्नामेंट में पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के रुप में भारत को सबसे कठिन चुनौती मिली है.

भारत के नये कोच शोर्ड मारिन की भी यह पहली असल परीक्षा होगा जिन्होंने दो महीने पहले ही रोलेंट ओल्टमेंस की जगह ली है. मारिन एशिया कप में कामयाब रहे लेकिन हॉकी लीग फाइनल उनके लिये बिल्कुल अलग चुनौती होगी. ओल्टमेंस को हटाते समय भारतीय हॉकी के हुक्मरानों ने स्पष्ट कर दिया था कि एशियाई स्तर पर सफलता कोई मानदंड नहीं होगी और विश्व स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करना होगा.

मारिन ने पद संभालने के बाद से खेलने की शैली या टीम की रणनीति में ज्यादा बदलाव नहीं किये हैं. उन्होंने खिलाडियों को यह तय करने का अधिकार दिया है कि वह किस शैली से खेलना चाहते हैं. उन्होंने पीछे की तैयारियों पर फोकस किया है जिससे खिलाडियों पर ज्यादा जिम्मेदारी सौंपी गई है.

एशिया कप में इसका फायदा मिला और 10 साल बाद भारत ने मलेशिया को 2-1 से हराकर खिताब जीता. अगले साल एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और विश्व कप जैसे कई टूर्नामेंट होने हैं लिहाजा मारिन के लिये यह टीम की ताकतों और कमजोरियों को आंकने का सुनहरा मौका होगा. भारत ने 2015 में रायपुर में हुए पिछले सत्र में कांस्य पदक जीता था और टीम इस बार पदक का रंग बदलना चाहेगी.

मनप्रीत सिंह की अगुवाई में भारत के पास युवा और अनुभवी खिलाडियों का अच्छा मिश्रण है. हरमनप्रीत सिंह, सुमित, दिप्सन टिर्की, गुरजंत सिंह और वरुण कुमार के रुप में युवाओं की ऐसी ब्रिगेड है जिसने जूनियर विश्व कप में भारत को खिताबी जीत दिलाई थी.

रुपिंदर पाल सिंह और बीरेंद्र लाकडा की वापसी से डिफेंस मजबूत हुआ है. अमित रोहिदास ने भी 2017 हॉकी इंडिया लीग में उम्दा प्रदर्शन के दम पर वापसी की है. दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई टीम नये कोच कोलिन बैच के साथ आई है जिन्होंने न्यूजीलैंड के साथ पिछले कुछ साल में बेहतरीन प्रदर्शन किया है.

ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने आक्रामक खेल के लिये मशहूर है और यहां उम्दा प्रदर्शन करके अपनी उपलब्धियों में एक तमगा और जोडना चाहेगी. विश्व, चैम्पियंस ट्राफी, ओशियाना कप, हाकी विश्व लीग और राष्ट्रमंडल खेल विजेता ऑस्ट्रेलियाई टीम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबदबा रहा है लेकिन रियो ओलंपिक में वह छठे स्थान पर रही. भारत पूल बी में है जिसमें ऑस्ट्रेलिया के अलावा इंग्लैंड और जर्मनी है जबकि पूल ए में ओलंपिक चैम्पियन अर्जेंटीना, नीदरलैंड, बेल्जियम और स्पेन है. दिन के अन्य मैच में जर्मनी का सामना इंग्लैंड से होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें