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एवरेस्ट फतह करने के लिए गिरवी रखा घर, अफसरों की ‘अनदेखी’ से नहीं मिला पुरस्कार

Mount Everest: मध्य प्रदेश के पर्वतारोही मधुसूदन पाटीदार ने अपने राज्य के अफसरों पर बड़ा आरोप लगाया है. उनका कहना है कि उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए अपना घर तक गिरवी रख दिया और अफसरों ने उन्हें राज्य के सबसे बड़े खेल पुरस्कार विक्रम पुरस्कार के लिए नहीं चुना. उन्होंने मामले को हाईकोर्ट में उठाया है, जिसकी सुनवाई 17 सितंबर को होगी.

Mount Everest: साल 2017 में महज 20 साल की उम्र में दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाले मध्यप्रदेश के पर्वतारोही मधुसूदन पाटीदार ने आरोप लगाया है कि अफसरों की अनदेखी से वह राज्य के सबसे बड़े खेल अलंकरण ‘विक्रम पुरस्कार’ से चूक गए. पाटीदार की याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली राज्य की अन्य पर्वतारोही भावना डेहरिया को साहसिक खेलों की श्रेणी में वर्ष 2023 का विक्रम पुरस्कार प्रदान किए जाने पर मंगलवार (पांच अगस्त) को अंतरिम रोक लगा दी थी. उच्च न्यायालय ने यह स्थगन आदेश सूबे की राजधानी भोपाल में राज्य सरकार के शिखर खेल अलंकरण समारोह के आयोजन के चंद घंटे पहले जारी किया था.

डेहरिया के पुरस्कार पर भी लगा ग्रहण

इस आयोजन के दौरान ही मंगलवार शाम डेहरिया को साहसिक खेलों की श्रेणी में विक्रम पुरस्कार प्रदान किया जाना था, लेकिन अदालत के आदेश के मद्देनजर इस श्रेणी में पुरस्कार वितरण नहीं किया गया. पाटीदार (29) ने इंदौर में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि वह महज 20 साल की उम्र में 21 मई 2017 को माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचे थे और इस बेहद मुश्किल पर्वतारोहण अभियान के खर्च के इंतजाम के लिए उन्हें अपना घर गिरवी रखकर कर्ज लेना पड़ा था जिसकी किस्तें वह अब भी चुका रहे हैं.

अफसरों पर लगे गंभीर आरोप

उन्होंने कहा, ‘प्रदेश में साहसिक खेलों की श्रेणी में पहला विक्रम पुरस्कार 2021 के लिए दिया गया था. वर्ष 2022 के लिए किसी भी खिलाड़ी को इस श्रेणी में यह पुरस्कार नहीं दिया गया. 2023 के ‘विक्रम पुरस्कार’ (साहसिक खेल श्रेणी) के लिए डेहरिया का नाम घोषित कर दिया गया, जबकि वह मेरे दो साल बाद 2019 में माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंची थीं.’ पाटीदार ने आरोप लगाया कि सरकारी अफसरों ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में उनकी वरिष्ठता की अनदेखी की जिसके कारण वह अब तक ‘विक्रम पुरस्कार’ से वंचित हैं.

हाईकोर्ट में 17 सितंबर को होगी सुनवाई

‘विक्रम पुरस्कार’ पर दावे को लेकर पाटीदार की याचिका पर उच्च न्यायालय में 17 सितंबर को अगली सुनवाई होनी है. प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने राजपत्र में प्रकाशित ‘मध्यप्रदेश पुरस्कार नियम 2021’ के हवाले से बताया कि साहसिक खेलों की श्रेणी में वे खिलाड़ी शासकीय पुरस्कार के आवेदन के पात्र होते हैं जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में साहसिक खेल गतिविधियों में निरंतर भाग लेते हुए उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ विशेष उपलब्धि अर्जित की हों. अधिकारी के मुताबिक, इन नियमों में यह भी कहा गया है कि साहसिक खेल श्रेणी में पुरस्कार की अनुशंसा ‘उपलब्धि और वरिष्ठता’ के आधार पर की जाएगी.

‘विक्रम पुरस्कार’, राज्य का सबसे बड़ा खेल अलंकरण है जिसे वर्ष 1972 से प्रदान किया जा रहा है. अलग-अलग खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 12 वरिष्ठ खिलाड़ियों को ‘विक्रम पुरस्कार’ से नवाजा जाता है. ‘विक्रम पुरस्कार’ से सम्मानित किए जाने वाले हर खिलाड़ी को दो लाख रुपये और स्मृति चिन्ह प्रदान किया जाता है. ‘विक्रम पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करके शासकीय सेवा में नियुक्ति भी दी जाती है.

AmleshNandan Sinha
AmleshNandan Sinha
अमलेश नंदन सिन्हा प्रभात खबर डिजिटल में वरिष्ठ खेल पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव है. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद से इन्होंने कई समाचार पत्रों के साथ काम किया. इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत रांची एक्सप्रेस से की, जो अपने समय में झारखंड के विश्वसनीय अखबारों में से एक था. एक दशक से ज्यादा समय से ये डिजिटल के लिए काम कर रहे हैं. खेल की खबरों के अलावा, समसामयिक विषयों के बारे में भी लिखने में रुचि रखते हैं. विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के बारे में देखना, पढ़ना और नई जानकारियां प्राप्त करना इन्हें पसंद है.

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