Womens World Cup 2025: बांग्लादेश महिला क्रिकेट टीम की सलामी बल्लेबाज फरगाना होक महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चल रहे मैच के दौरान एक अजीबोगरीब घटना का शिकार हो गईं. यह उन अजीबोगरीब डीआरएस पलों में से एक था, जो बार-बार देखने को नहीं मिलता. दक्षिण अफ्रीका ने फरगाना होक के खिलाफ कैच आउट की अपील की, लेकिन उन्हें एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया गया. 25वें ओवर की आखिरी गेंद पर, नॉनकुलुलेको म्लाबा ने ऑफ और मिडिल स्टंप लाइन पर एक फुलिश गेंद फेंकी. फरगाना ने गेंद को स्वीप करने के लिए घुटने टेके, लेकिन गेंद उछलकर विकेटकीपर सिनालो जाफ्ता के हाथों में चली गई. Bangladeshi batter given out LBW after DRS taken for catch video
तीसरे अंपायर ने माना कि बैटर LBW आउट थीं
इस घटना के बाद दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों ने कैच आउट की जोरदार अपील की. मैदानी अंपायर इस अपील से सहमत नहीं थे और कैच-बैक की अपील को नॉट आउट करार दिया. हालांकि, प्रोटियाज कप्तान, लॉरा वोल्वार्ड्ट ने डीआरएस का इशारा किया. इसके बाद, डीआरएस के जरिए आउट होने के एक तरीके को दूसरे तरीके में बदलने का एक मास्टरक्लास देखने को मिला. तीसरे अंपायर ने सबसे पहले अल्ट्रा एज से बल्ले के जुड़ाव की जांच की. गेंद दस्ताने के बहुत पास से गुजर रही थी, लेकिन रीप्ले में कोई स्पाइक नहीं दिखा और यह पुष्टि हो गई कि इसमें बल्ले का कोई हाथ नहीं था.
मैदानी अंपायर का पलट गया फैसला
बल्ले का कोई हिस्सा नहीं लगे होने का मतलब था कि कैच आउट का फैसला नहीं लिया गया. चूंकि गेंद बल्लेबाज के शरीर से टकराई थी, इसलिए थर्ड अंपायर ने बॉल ट्रैकिंग से LBW की जांच की. बॉल ट्रैकिंग में तीन रेड कार्ड दिखाए गए और नॉटआउट के मूल फैसले को पलटकर आउट कर दिया गया. फरगाना होक को 76 गेंदों पर 30 रन बनाने के बाद मैदान छोड़ना पड़ा. इस घटना का वीडियो खुद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर पोस्ट किया और लिखा भी कि अपील कैच की थी और आउट दिया गया LBW.
क्या कहता है डीआरएस का नियम
डीआरएस, जब लिया जाता है, तो यह क्षेत्ररक्षण या बल्लेबाजी करने वाली टीम द्वारा की गई अपील तक ही सीमित नहीं होता. एक बार रिव्यू शुरू हो जाने के बाद, तीसरे अंपायर का काम गेंद के सही नतीजे पर पहुंचने की जांच करना होता है. अगर कैच की अपील के लिए कोई किनारा नहीं मिलता है और गेंद बल्लेबाज के शरीर से टकराती है, तो अंपायर एलबीडब्ल्यू की जांच करने के लिए बाध्य होता है. फैसला आने के बाद, सोशल मीडिया पर हलचल मच गई. चर्चा इस बात पर थी कि जब अपील पीछे पकड़े जाने की थी, तो उसे कैसे लेग बिफोर की सजा दी गई. हालांकि, बात साफ है कि जो कुछ भी हुआ, वह पूरी तरह से कानून के दायरे में था और आईसीसी के अनुसार वैध था.
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