R Ashwin on Bronco Test: भारतीय क्रिकेट टीम अपने खिलाड़ियों की फिटनेस को सुधारने के लिए अब ब्रोंको टेस्ट की अनिवार्यता लागू करने वाली है. इसका इस्तेमाल रग्बी और फुटबॉल में होता है, जिसमें खिलाड़ियों से पांच सेट में 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की शटल रन करना होता है, यानी कुल मिलाकर 1200 मीटर की दौड़. इसमें लिया गया समय खिलाड़ी की एरोबिक क्षमता और रिकवरी को दर्शाता है. टीम मैनेजमेंट ने यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर टाइम ट्रायल के साथ ब्रोंको टेस्ट को भी फिटनेस मापने के नए पैमानों में शामिल किया है. हालांकि पूर्व भारतीय ऑफ-स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने गौतम गंभीर की नई सपोर्ट स्टाफ टीम को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने ट्रेनिंग तरीकों में निरंतरता बनाए रखने और फिटनेस रेजीम को बार-बार बदलने से बचने की सलाह दी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस टेस्ट का सुझाव नए स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स ने दिया, जिसे गौतम गंभीर ने हरी झंडी दिखा दी. अपने यूट्यूब चैनल ऐश की बात पर अश्विन ने समझाया कि अचानक टेस्टिंग में बदलाव खिलाड़ियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. उन्होंने कहा, “जब ट्रेनर बदलते हैं तो टेस्टिंग मैकेनिज्म बदल जाता है. ट्रेनिंग स्कीम्स बदल जाती हैं. ऐसे में खिलाड़ियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. अगर आप बार-बार ट्रेनिंग स्कीम बदलते हैं तो खिलाड़ियों के लिए यह बेहद कठिन हो जाता है. कई बार यह चोट का कारण भी बन सकता है.”
पेसर्स की समस्या पर लाया गया नियम
ब्रॉन्को टेस्ट खिलाड़ी की एरोबिक एंड्यूरेंस (ऑक्सीजन क्षमता) और कार्डियोवैस्कुलर कैपेसिटी (हृदय व रक्त संचार क्षमता) को चुनौती देता है. भारत की एशिया कप 2025 के कई खिलाड़ी इस टेस्ट को पास भी कर चुके हैं. नए स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स ने सोहम देसाई की जगह ली है. उन्होंने तेज गेंदबाजों से कहा है कि वे जिम-आधारित ट्रेनिंग पर ही निर्भर रहने के बजाय अपने रनिंग वर्कलोड को बढ़ाने पर ध्यान दें. इंग्लैंड सीरीज के पाँचों मैच सिर्फ मोहम्मद सिराज ने खेले, जिससे बाकी तेज गेंदबाजों की फिटनेस पर सवाल उठे.
ट्रेनर्स में बदलाव के पर ध्यान रखे बीसीसीआई
अपने अनुभव साझा करते हुए अश्विन ने कहा, “2017 से 2019 तक मैं अपनी ट्रेनिंग स्कीम खोज रहा था. मैंने यह सब झेला है. सोहम देसाई इस बारे में अच्छी तरह जानते हैं.” लेकिन अश्विन ने जोर देकर कहा कि नए सिस्टम लागू करना खिलाड़ियों की निरंतरता की कीमत पर नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, “मैं बस कुछ सवाल उठाना चाहता हूं. एक खिलाड़ी के तौर पर समस्या निरंतरता की होती है. मैं वास्तव में निरंतरता चाहता हूं और यह देना बेहद जरूरी है. जब भी कोई नया ट्रेनर आता है, उसे कम से कम छह महीने से एक साल तक पुराने ट्रेनर के साथ काम करना चाहिए ताकि सही हैंडओवर हो सके.” अश्विन ने चेतावनी देते हुए कहा, “जिस चीज पर काम चल रहा है, उसमें बदलाव की जरूरत नहीं है. अगर कुछ सही चल रहा है, तो पहले उस पर चर्चा होनी चाहिए और फिर बदलाव करना चाहिए.”
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