Glenn McGrath and Brett Lee hunted animals at Chipitani Safari: खिलाड़ी खेल के मैदान पर अपने कारनामे दिखाते हैं. इसकी वजह से वे पूरी दुनिया में पसंद किए जाते हैं. लेकिन सामाजिक नियमों से वे भी बंधे होते हैं. कानून की वर्जनाएं तोड़ने का उन्हें भी बिल्कुल अधिकार नहीं होता. ऑस्ट्रेलिया के दो दिग्गज ग्लेन मैक्ग्रा और ब्रेट ली भी कुछ इसी तरह के सामाजिक और कानूनी उल्लंघन पर फंस गए थे. सन 2008 में ग्लेन मैक्ग्रा अफ्रीका की सैर पर निकले, लेकिन वहां पर उन्होंने निरीह जानवरों का शिकार किया. चिपिटानी सफारी जिम्बाब्वे का एक गेम पार्क है, जहां पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ग्लेन मैक्ग्रा ने 2008 में जिम्बाब्वे में एक ट्रॉफी हंटिंग (शिकार सफारी) में हिस्सा लिया था. इस दौरान उनके कुछ फोटो सामने आए थे, जिनमें वे मरे हुए जानवरों साथ पोज देते दिखे. उनके साथ ही ब्रेट ली भी इस मामले में फंसे थे.
यह मामला खुला 2015 में, जब मेलबर्न के मशहूर वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर क्रिस्टोफर रिमर ने फेसबुक पर तस्वीरें पोस्ट कीं. इन तस्वीरों में मैक्ग्रा 2008 की जिम्बाब्वे सफारी के दौरान भैंसे, लकड़बग्घे और एक हाथी जैसे मृत जानवरों के साथ पोज देते दिखाई दे रहे थे. सोशल मीडिया पर आने के बाद तस्वीरें जंगल की आग की तरह वायरल हुईं. लोगों ने मैक्ग्रा की जमकर आलोचना की. रिमर ने बताया कि तस्वीरें साझा करने के बाद उन्हें 600 से ज्यादा संदेश मिले, जिनमें कई शिकारी और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से धमकियां शामिल थीं. उन्होंने कहा, “अब समझ नहीं आता कि असली पागल कौन हैं, पशु अधिकार कार्यकर्ता या शिकारी.”
Anyone still simmering about #GlenMcGrath’s ‘past’ meathead hobbies?
— CaraMia200 (@CaraMia200) January 2, 2022
Try as I may, he will always be the mindless bastard that did this? pic.twitter.com/DHHqVfw48W
This week, former Australian cricketer @glennmcgrath11 is admirably raising millions of dollars for breast cancer. We think it should be equally acknowledged that Glenn shot an elephant.
— Charlie Bird (@DugongTurtleAus) January 4, 2019
To help elephants please share link and support where you can –> https://t.co/JM6kH5sLZi pic.twitter.com/9VjC9oqLVD
सोशल मीडिया पर बवाल के बाद ग्लेन मैक्ग्रा ने मांगी माफी
मैक्ग्रा ने विवाद के बाद ट्विटर पर माफी मांगते हुए सफारी को “कानूनी लेकिन बेहद अनुचित” बताया. उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन का कठिन दौर था क्योंकि उसी साल उन्होंने अपनी पत्नी जेन को स्तन कैंसर के कारण खो दिया था. मैक्ग्रा ने 2015 में ट्विटर पर लिखा था, “2008 में, मैंने जिम्बाब्वे में एक शिकार सफारी में हिस्सा लिया था जो लाइसेंस प्राप्त और कानूनी थी, लेकिन अब मुझे लगता है कि यह बेहद अनुचित था.” हालांकि अब उनका यह ट्वीट उनके टाइमलाइन पर नहीं दिखता. संभव है कि उन्होंने इसे डिलीट कर दिया हो.
Here’s Australia’s contribution to animal welfare.
— Thaddeus (@ImaMalaca) July 24, 2023
Glenn McGrath
Tough guy killed quite a few, elephant included. pic.twitter.com/sUDP92scPY
And just for you Mary here is a well known Australian having killed an elephant for "Sport"
— Batman.🇦🇺 (@Batman2242) July 19, 2025
Yes, Glenn McGrath pic.twitter.com/c7XJzfyHKa
मूल रूप से तस्वीरें चिपिटानी सफारी की वेबसाइट ने पोस्ट की थीं
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की उस समय की लगभग सभी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फोटो फेसबुक पर पोस्ट करने वाले रिमर के अनुसार, ये तस्वीरें उन्हें दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले एक दोस्त ने भेजी थीं. हालांकि ये तस्वीरें सबसे पहले चिपिटानी सफारी की वेबसाइट पर तस्वीरें मूल रूप से पोस्ट की गई थीं. लेकिन विवाद के बाद उन्होंने ने भी इसे हटा लिया.
Glenn McGrath received widespread criticism w/ it was revealed he had killed a variety of animals.
— ಸೂರಿ (Stan of Nina,Kshama,Bernie) (@southfirstx) March 2, 2023
Photographs of McGrath appeared on the website of Chipitani Safaris showing him crouched beside what looked to be a dead buffalo, two hyenas & the tusks of an elephant.@Gulanyago https://t.co/lMzTV3JX14
ब्रेट ली भी फंसे विवादों में
2015 में ही यह विवाद थमा भी नहीं था कि एक और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ब्रेट ली भी इस मामले में फंस गए. उनकी भी एक पुरानी तस्वीर सामने आ गई, जिसमें वे दक्षिण अफ्रीका के एक फार्म में मृत हिरण के साथ मैक्ग्रा और दो बच्चों के साथ पोज देते दिखाई दे रहे हैं.
Photo of former cricketers Brett Lee and Glenn McGrath hunting emerge http://t.co/LEZue09sC8 pic.twitter.com/O98vqw8zlf
— Daily Mail Australia (@DailyMailAU) February 22, 2015
2006 में इंटरव्यू में जताई थी शिकार की इच्छा
ग्लेन मैक्ग्रा ने 2005 में मैक्ग्रा फाउंडेशन लांच किया था. जिससे वे स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाते हैं. इन चैरिटी कार्यों के बावजूद मैक्ग्रा की माफी कुछ लोगों को उस वक्त पसंद नहीं आई थी. सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड के अनुसार, स्पोर्टिंग शूटर्स एसोसिएशन ऑफ ऑस्ट्रेलिया (SSAA) में 2006 में प्रकाशित एक लेख में मैकग्राथ के हवाले से कहा गया था, “मैं ट्रॉफी हंटिंग में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ, किसी खास जानवर के लिए नहीं, लेकिन अफ्रीका में एक बड़ी सफारी बहुत अच्छी रहेगी. मैं पैदल सफारी करना पसंद करूँगा, जैसे पुराने जमाने में किया जाता था और सिर्फ कैंप को अपने साथ ले जाऊँगा, न कि 4WD में घूमूँगा. मेरे लिए यह एकदम सही रहेगा. बात ट्रॉफियों की संख्या की नहीं है; हालाँकि गुणवत्ता महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सब कुछ नहीं है. बस उस माहौल में बाहर रहना ही अद्भुत होगा.”
Here's McGrath from years ago. No secret. The "explanation" today is the bizarre aspect. pic.twitter.com/LJNvqhsGTY
— Stuart Randall (@StuartRandall) February 21, 2015
अवैध शिकार (Poaching) और ट्रॉफी हंटिंग (Trophy Hunting) में अंतर
अवैध शिकार: अगर कोई व्यक्ति किसी देश के नियमों को तोड़कर जानवरों का शिकार करता है, तो उसे अवैध शिकार कहा जाता है. जैसे- बिना सरकारी परमिट लिए शिकार करना या फिर उस इलाके/मौसम में शिकार करना जहाँ कानूनन मना है. यह पूरी तरह अवैध है. कई बार लोग इस शिकार की ओर इसलिए भी चले जाते हैं क्योंकि शिकार से जुड़े नियम बहुत ज्यादा और जटिल होते हैं, या फिर वे उस इलाके की पारंपरिक प्रथाओं से टकराते हैं.
जिम्बाब्वे और कई दूसरे देशों में अवैध शिकारी को अक्सर अंतरराष्ट्रीय अपराधी गिरोहों से जोड़ा जाता है, जो हाथी दांत की तस्करी करते हैं या अवैध रूप से बुशमीट (जंगल का मांस) बेचते हैं. लेकिन कुछ मामलों में, जिन गतिविधियों को आज की आधुनिक भाषा में poaching कहा जाता है, वे असल में वहाँ की स्थानीय समुदायों की सदियों पुरानी परंपरा होती हैं जैसे जानवरों का शिकार करना, घास या अन्य प्राकृतिक संसाधन इकट्ठा करना, जिससे उनका जीवन-यापन होता है.
ट्रॉफी हंटिंग: ट्रॉफी हंटिंग कानूनी होता है, यानी सरकार की अनुमति और परमिट लेकर किया गया शिकार. इसमें शिकारी जानवर को मारने के बाद उसकी खाल, सींग या सिर को “ट्रॉफी” के रूप में अपने पास रखते हैं. इसे आमतौर पर खेल और शौक के रूप में देखा जाता है, हालांकि इसे लेकर दुनियाभर में नैतिक बहस भी होती है. जिम्बाब्वे में यह आज भी होता है.
ग्लोबल प्रेस जर्नल के अनुसार जिम्बाब्वे में कानूनी तौर पर शिकार करना सस्ता नहीं है. इसके लिए परमिट, यात्रा, हथियार/उपकरण और गाइड जैसी चीजों पर अलग से खर्च करना पड़ता है. अगर शिकार किए गए जानवर को बाहर भेजना हो, तो उसका भी खर्च जुड़ जाता है. इसके अलावा ट्रॉफी शुल्क भी देना होता है. 2016 की सूची के अनुसार यह शुल्क जानवर के हिसाब से बदलता है. जैसे बाबून (लंगूर) के लिए करीब 5 डॉलर और 60 पाउंड से ज्यादा वजन वाले हाथी के लिए लगभग 11,000 डॉलर तक.
संयुक्त राष्ट्र का नहीं है जोर, केवल देशों पर डाल सकता है दबाव
जंगली जानवरों का शिकार कानून के खिलाफ है. इस मामले में संयुक्त राष्ट्र का रुख काफी सख्त रहता है. हालांकि वह किसी देश को सीधे तौर पर बाध्य नहीं कर सकता. लेकिन वह कड़े कानून बनाने के लिए देशों पर दबाव जरूर डाल सकता है. वन्यजीव संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और संधियों, जैसे CITES (संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन) को लागू करने के लिए सदस्य देशों को प्रोत्साहित करता है. इस मुद्दे ने ट्रॉफी हंटिंग बनाम वाइल्डलाइफ संरक्षण पर गहरी बहस को जन्म दिया था. अफ्रीका के सभी देशों में शिकार पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं है. हालांकि, कई देशों ने अवैध शिकार और घटती वन्यजीव आबादी के चलते कुछ प्रकार के शिकार पर रोक या कड़े नियम लागू किए हैं.
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