Anil Kumble Birthday: भारतीय क्रिकेट इतिहास में अगर किसी खिलाड़ी ने अपनी मेहनत, जुनून और जज्बे से दुनिया को प्रभावित किया है, तो वह हैं अनिल कुंबले (Anil Kumble). कभी बल्लेबाज के तौर पर क्रिकेट में कदम रखने वाले कुंबले ने आगे चलकर गेंदबाजी में ऐसा कमाल किया कि वे भारत के सबसे सफल टेस्ट गेंदबाज बन गए. आज (17 अक्टूबर) को यह महान खिलाड़ी 55 साल के हो गए हैं. चलिए जानते हैं, कैसे एक बल्लेबाज भारत का सबसे बड़ा स्पिनर बना और किस तरह उन्होंने इतिहास रचा.
स्पिनर बनने की कहानी
अनिल कुंबले का जन्म 17 अक्टूबर 1970 को कर्नाटक के बेंगलुरु में हुआ था. बचपन से ही उन्हें क्रिकेट का शौक था, और शुरुआत में वे एक बल्लेबाज के रूप में खेलने लगे. साल 1989 में भारत की अंडर-19 टीम की ओर से उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ शतक जड़कर सबका ध्यान खींचा था. उस सीरीज में उन्होंने 113 और 76 रनों की शानदार पारियां खेलीं. लेकिन वक्त के साथ उनका झुकाव गेंदबाजी की ओर बढ़ने लगा. उन्होंने स्पिन गेंदबाजी को अपनाया और अपनी सटीक लाइन-लेंथ से बल्लेबाजों को परेशान करने लगे. साल 1990 में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और भारतीय क्रिकेट में नई ऊंचाइयां छू लीं.
टूटे जबड़े के बावजूद गेंदबाजी की
साल 2002 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में कुंबले के जबड़े की हड्डी टूट गई थी. लेकिन उन्होंने दर्द को नजरअंदाज कर मैदान पर वापसी की. पट्टी बांधकर गेंदबाजी करते हुए उन्होंने उस मैच में ब्रायन लारा जैसे दिग्गज बल्लेबाज को आउट किया. यह घटना भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे प्रेरणादायक पलों में से एक बन गई. कुंबले ने साबित किया कि खेल में असली ताकत शरीर में नहीं, बल्कि हौसले और हिम्मत में होती है. इस जज्बे ने उन्हें सिर्फ एक महान गेंदबाज नहीं, बल्कि एक सच्चा योद्धा (fighter) बना दिया.

एक पारी में 10 विकेट निकाले
अनिल कुंबले का नाम आते ही क्रिकेट प्रेमियों को 1999 का दिल्ली टेस्ट याद आता है, जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ एक ही पारी में सभी 10 विकेट झटके थे. यह उपलब्धि पाने वाले वे दुनिया के दूसरे गेंदबाज बने. उनसे पहले केवल इंग्लैंड के जिम लेकर ने ऐसा किया था. कुंबले का यह प्रदर्शन आज भी क्रिकेट इतिहास की सबसे गौरवशाली उपलब्धियों में गिना जाता है. उस मैच के बाद पूरा देश उन्हें परफेक्ट टेन कहकर पुकारने लगा. यह वो पल था जब कुंबले ने खुद को दुनिया के सबसे बेहतरीन गेंदबाजों की सूची में शामिल कर लिया.
रिकॉर्ड्स से भरा करियर
कुंबले का करियर न सिर्फ विकेटों बल्कि लीडरशिप के लिए भी याद किया जाता है. दिसंबर 2001 में अपने घरेलू मैदान बैंगलोर में उन्होंने 300 टेस्ट विकेट पूरे किए, और भारत के पहले स्पिनर बने जिन्होंने यह मील का पत्थर हासिल किया. अगस्त 2007 में इंग्लैंड के ओवल मैदान पर उन्होंने ग्लेन मैक्ग्रा के 563 विकेटों का रिकॉर्ड तोड़ा और फिर उसी साल उन्हें भारत का टेस्ट कप्तान नियुक्त किया गया. कप्तान के रूप में उन्होंने अपनी शांत और संयमित शैली से टीम को प्रेरित किया. अपने करियर के अंत तक वे 619 टेस्ट विकेट और 337 वनडे विकेट लेकर दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने.
कुंबले का शानदार करियर
अनिल कुंबले ने भारत के लिए 132 टेस्ट मैच खेले और 619 विकेट हासिल किए. बल्लेबाजी में भी उन्होंने 1 शतक और 5 फिफ्टी की मदद से 2506 रन बनाए. वनडे में उन्होंने 271 मैचों में 337 विकेट और 938 रन बनाए. अगर घरेलू क्रिकेट और बाकी मुकाबले मिलाकर देखें, तो कुंबले ने अपने पूरे करियर में लगभग 1700 विकेट लिए. टेस्ट क्रिकेट में वे आज भी भारत के सबसे सफल गेंदबाज हैं और दुनिया के चौथे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज के रूप में दर्ज हैं.
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