दुबई : बीसीसीआई और पीसीबी के शीर्ष अधिकारियों की बैठक भारतीय सरकार का पाकिस्तान के खिलाफ किसी द्विपक्षीय श्रृंखला के लिये मंजूरी देने से इन्कार करने के बाद सोमवार को बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गयी. संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी, सीईओ राहुल जोहरी और महाप्रबंधक (क्रिकेट संचालन) एमवी श्रीधर बीसीसीआई प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जिन्होंने पाकिस्तानी अधिकारियों से कुछ महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा की जिनमें पीसीबी की छह करोड़ डालर के मुआवजे की मांग भी शामिल है.
बीसीसीआई ने अपनी विज्ञप्ति में कहा, ‘‘बीसीसीआई और पीसीबी के प्रतिनिधिमंडल के बीच सोमवार को दुबई में बैठक हुई और उन्होंने एक दूसरे को अपनी स्थितियों से अवगत कराया. बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और इसका परिणाम संबंधित बोर्ड के सदस्यों के साथ साझा किया जाएगा.” इस घटनाक्रम से अवगत बीसीसीआई सूत्र ने बताया कि पीसीबी की छह करोड़ डालर के मुआवजे की मांग पर भी चर्चा हुई.
पीसीबी ने समझौता पत्र (एमओयू) का पालन नहीं करने के कारण बीसीसीआई से इस मुआवजे की मांग की है. इस करार में 2015 से 2023 के बीच पांच द्विपक्षीय श्रृंखलाएं खेलने का उल्लेख है. कुछ का विचार था कि सितंबर में कम मैचों की सीमित ओवरों की श्रृंखला आयोजित की जा सकती है जबकि चैंपियन्स लीग टी20 का आयोजन होता था.
आतंकवाद और क्रिकेट साथ-साथ नहीं चल सकता : खेल मंत्री
पता चला है कि बीसीसीआई को संभवत: किसी तरह का मुआवजा नहीं देना पडेगा क्योंकि उसका रवैया हमेशा स्पष्ट रहा है कि पाकिस्तान के खिलाफ खेलने के लिये सरकार से मंजूरी मिलना जरुरी है. यहां तक कि बीसीसीआई ने पीसीबी से मुआवजा का दावा वापस लेने के लिये कहा.
बीसीसीआई सूत्र ने कहा, ‘‘केंद्रीय खेल मंत्री के बयान के बाद लगता नहीं कि पाकिस्तान के खिलाफ जल्द ही कोई श्रृंखला होगी. हमने पीसीबी से कह दिया है कि जब तक सरकार अनुमति नहीं देती तब तक हम उनके खिलाफ यूएई जैसे तटस्थ स्थलों पर भी नहीं खेल पाएंगे.” इसका मतलब है कि फिलहाल भारत और पाकिस्तान केवल आईसीसी टूर्नामेंटों में ही एक दूसरे के खिलाफ खेल पाएंगे.