विजय बहादुर
टेस्ट सीरीज खेलने जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत आयी तब सभी क्रिकेट के जानकार ये कयास लगा रहें थे की भारत आसानी से ऑस्ट्रेलिया को पीट देगा और कुछ पूर्व क्रिकेटर्स ने तो यहां तक कहा की भारत टेस्ट सीरीज 4-0 से भी जीत सकता है लेकिन सीरीज खत्म होने पर बमुश्किल भारत 2-1 से सीरीज अपने नाम कर सका. शायद इसलिए सीरीज खत्म होने के बाद विराट कोहली से उनकी प्रतिक्रिया पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि उनके चेहरे में मुस्कुराहट तब आयेगी जब उनकी टीम विदेश में जीतेगी. कमजोर टीमों को छोड़ दें तो भारत का प्रदर्शन विदेशी धरती पर पिछले 5 वर्षों में काफी कमजोर रहा है. तेज और स्विंग लेती पिचों पर विराट कोहली को छोड़ कर किसी भी भारतीय बैट्समैन ने अपनी निरंतरता नहीं दिखायी है.
लेकिन हालिया टेस्ट सीरीज में ऐसा लगा की मजबूत टीम के खिलाफ भारत ने होम एडवांटेज खो दिया है. भारत की धरती में ऑस्ट्रेलिया का 2004-05 के बाद सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है. अंतिम टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया अगर दूसरी पारी में सिर्फ एक सेशन बेहतर खेलता तो पूरे सीरीज का परिणाम ही उल्टा हो सकता था. होम ग्राउंड के लाभ के बाद भी भारत का प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया से बराबरी का ही रहा. ये माना जा रहा था की ऑस्ट्रेलिया की ये टीम अनुभव के मामले में अब तक की सबसे नयी है. लेकिन इस कम अनुभवी टीम ने रिकी पोंटिंग के नेतृत्व में 2004-05 में भारत आयी टीम की तरह शानदार प्रदर्शन किया. 2004- 05 सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को भारत की धरती पर 2-1 से हरा दिया था. 2004-05 की ऑस्ट्रेलिया की टीम में रिकी पोंटिंग के अतिरिक्त शेन वार्न, मैथ्यू हेडन, क्लार्क, गिलक्रिस्ट, जस्टिन लेंगर, मैग्रा, गिलिस्पी जैसे बेहतरीन खिलाड़ी थे. भारत में पिछले तीन सीरीज में ऑस्ट्रेलिया एक भी टेस्ट नहीं जीत सका था.
पूरे सीरीज में भारत के खिलाड़ी स्पिन के खिलाफ बहुत सहज नजर नहीं आये. जबकि ये माना जाता है की भारतीय खिलाड़ी स्पिन, तेज गेंदबाजी से बेहतर खेलते हैं. ऑस्ट्रेलिया के अच्छे प्रदर्शन में उनके स्पिनरों लॉयन और ओकीफे का बहुत बड़ा योगदान रहा जबकि इन्हें शेन वार्न जैसे स्पिन दिग्गज के मुकाबले काफी कमजोर माना जाता है.
बैट्समैन के रूप में स्टीव स्मिथ का प्रदर्शन विराट कोहली से बहुत बेहतर रहा. जबकि इस श्रृंखला को विराट-स्मिथ मुकाबले के रूप में भी देखा जा रहा था. कोहली का प्रदर्शन बहुत निराश करने वाला रहा. ऑस्ट्रेलिया उकसाकर आक्रामक कोहली का ध्यान भंग करने रहा जिसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा.
ऑस्ट्रेलिया के बहुत सारे खिलाड़ी आईपीएल में लगातार खेलते हैं इससे वो भारत के स्पिन ट्रैक में खेलने में पहले से ज्यादा सहज हैं. इस पूरे सीरीज में उमेश यादव ने अपनी तेज गेंदबाजी से प्रभावित किया. 4 टेस्ट मैच कुल 17 विकेट अपने नाम किया. पुरे सीरीज में 140 किलोमीटर के ऊपर कसी हुई गेंदेबाजी की. टीम को जरुरत के समय विकेट लेकर जरुरी ब्रेक दिलाया.
रविंद्र जडेजा ने पूरे सीरीज में बॉल और बल्ले से शानदार प्रदर्शन कर टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली. जबकि इससे पहले जडेजा की गिनती फटाफट क्रिकेट के स्पेशलिस्ट के रूप में होती थी. चेतेश्वर पुजारा ने टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे बेशकीमती खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान को और मजबूत कर लिया है. राहुल द्रविड़ की जगह पुजारा ने टेस्ट क्रिकेट में भरने की पूरी कोशिश की है. होम ग्राउंड में कमजोर प्रदर्शन के बाद विदेशी धरती में मजबूत टीमों के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर संशय रहेगा.