नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट में सौरव गांगुली को एक महान खिलाड़ी के साथ-साथ सफल कप्तान के रूप में याद किया जाता है. गांगुली ने टीम इंडिया को उस समय संभाला जब टीम फिक्सिंग की आग में जल रही थी.
कई बड़े खिलाड़ी फिक्सिंग की आग के लपेटे में आ गये थे. वैसे में टीम इंडिया को ‘दादा’ जैसे मजबूत हाथ का सहारा मिला. गांगुली ने न केवन टीम इंडिया को फिक्सिंग के दौर से बाहर निकाला बल्कि आईसीसी रैंकिंग में टॉप पर पहुंचाया. 2003 विश्वकप में सौरव गांगुली की अगुवाई में भारतीय टीम उपविजेता बनी.
क्रिकेट से संन्यास के बावजूद गांगुली हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. हाल ही में गांगुली की आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ बाजार में आयी. जिसमें उन्होंने अपने क्रिकेट जीवन के बारे में कई बड़े खुलासे किये हैं. कुछ दिनों पहले मीडिया में उस किताब के हवाले खबर आयी थी. जिसमें गांगुली ने चैपल के साथ अपने विवाद के बारे में खुलासा किया था. अब उनकी आत्मकथा के जरिये एक ओर बड़ा खुलासा हुआ है.
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गांगुली ने अपनी आत्मकथा में टीम इंडिया के एक और सफल कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के बारे में लिखा है. गांगुली ने धौनी की तारीफ करते हुए लिखा कि काश, धौनी 2003 विश्वकप की भारतीय टीम में शामिल होते. उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा, मैंने कई वर्षों तक ऐसे खिलाड़ियों पर लगातार नजर बनाये रखा जो दबाव के क्षणों में भी शांत रहते हैं और अपनी काबिलियत से मैच की तस्वीर बदल सकते हैं.
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महेंद्र सिंह धौनी पर वर्ष 2004 में मेरा ध्यान गया, वे इसी तरह के खिलाड़ी थे. मैं पहले ही दिन से धौनी से बेहद प्रभावित हुआ था. दादा ने लिखा, काश, धौनी वर्ल्डकप 2003 की मेरी टीम में होते. मुझे बताया गया कि जब हम वर्ष 2003 के वर्ल्डकप के फाइनल में खेल रहे थे, उस समय भी धौनी भारतीय रेलवे में टिकट कलेक्टर (टीसी) थे. अविश्वसनीय. गौरतलब हो कि महेंद्र सिंह धौनी सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम में डेब्यू किया था.
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