नयी दिल्ली : गुजरात के निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट एक बार फिर चर्चा में हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर टीम इंडिया में हिंदू-मुस्लिम को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिये सवाल पूछा है कि क्या इस समय भारतीय क्रिकेट टीम में कोई मुस्लिम खिलाड़ी है ?.
संजीव के इस बयान पर बवाल मच गया है. हालांकि टीम इंडिया के स्पिनर हरभजन सिंह ने उन्हें करारा जवाब दे दिया है. लेकिन इसके बाद भी विवाद अभी ठंढ़ा नहीं पड़ा है. निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट पहली बार विवाद को हवा नहीं दिया है बल्कि इससे पहले भी कई मुद्दों पर उन्होंने आग लगाने का काम किया है.
ज्ञात हो कि संजीव कुमार वही आइएएस अधिकारी हैं जिन्होंने 2002 में गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री (उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे) नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाया था.
‘टीम इंडिया में मुस्लिम खिलाड़ी नहीं’, निलंबित IPS अधिकारी संजीव भट्ट के सवाल पर भड़के हरभजन सिंह
सस्पेंड आईपीएस ऑफिसर संजीव भट्ट एक सेक्स वीडियो को लेकर भी चर्चा में रहे हैं. इस मामले में गुजरात सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. गुजरात सरकार को जो वीडियो मिला था, उसमें कथित रूप से संजीव भट्ट एक महिला के साथ नजर आ रहे थे. उस समय इंडियन एक्सप्रेस में खबर छपी थी. खबर के अनुसार गुजरात सरकार को एक पेन ड्राइव में 11 मिनट का वीडियो मिला था. जिसमें वे एक महिला के साथ नजर आ रहे हैं. सरकार ने भट्ट से इस ‘सेक्स वीडियो’ पर 10 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा था.
हालांकि संजीव भट्ट ने इस वीडियो को फरजी करार दिया था. संजीव ने माना कि वीडियो में जो आदमी नजर आ रहा है, वह उनकी तरह दिखता जरूर है, लेकिन वे इस वीडियो में नहीं हैं, वह कोई और शख्स है. भट्ट ने सरकार को जो नोटिस का जवाब दिया था उसमें लिखा था, क्लिपिंग को करीब से देखने पर उनके और वीडियो में मौजूद शख्स के चेहरे में काफी अंतर नजर आयेंगे. इसमें उनकी नाक, माथे और दोनों कानों का साइज और शेप अलग-अलग है.
* सरकारी गाड़ी और पुलिस कमांडो का गलत इस्तेमाल के आरोप में सरकार ने किया सस्पेंड
गुजरात के 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 2015 में सरकार ने सरकारी गाड़ी और पुलिस कमांडो का गलत इस्तेमाल करने के आरोप में निलंबित किया था. संजीव भट्ट को गुजरात सरकार ने अहमदाबाद से जूनागढ़ भेजा था, लेकिन उन्होंने जूनागढ़ में पदभार ग्रहण नहीं किया और लगातार अहमदाबाद में रहते हुए सरकारी गाड़ी और पुलिस कमांडो का इस्तेमाल करते रहे.