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Railway: 88 साल बाद आज एक होगी खंडित मिथिला, दरभंगा-सहरसा रेल लाइन का लोकार्पण करेंगे रेलमंत्री

Railway: मिथिलांचल के लोगों का सपना 88 साल बाद साकार होगा. दरभंगा-सहरसा वाया सुपौली-निर्मली रेललाइन का सात मई को दोपहर दो बजे रेलमंत्री लोकार्पण करेंगे.

Railway: मिथिलांचलक के लोगों का सपना 88 साल बाद साकार होने का समय आ गया है. एक बार फिर क्षेत्र में विकास की सीटी सुनायी देगी. मिथिलावासी करीब नौ दशक से इस घड़ी का इंतजार कर रहे हैं. दरभंगा-सहरसा वाया सुपौली-निर्मली रेललाइन का सात मई को दोपहर दो बजे रेलमंत्री लोकार्पण करेंगे.

नये रेलखंड पर शुरू किया जायेगा सवारी ट्रेन का परिचालन

रेलवे बोर्ड ने खंडित मिथिला को जोड़नेवाले झंझारपुर-निर्मली-आसनपुर-कुपहा नयी रेल लाइन पर ट्रेन चलाने की हरी झंडी दे दी है. सबसे पहले नये रेलखंड पर सवारी ट्रेन का परिचालन शुरू किया जायेगा. दरभंगा, सकरी, निर्मली, कोसी महासेतु रेल ब्रिज के रास्ते सरायगढ़, सुपौल होकर सहरसा के लिए नये ट्रैक पर नयी ट्रेन का परिचालन सात मई से शुरू हो जायेगा.

1934 में आये विनाशकारी भूकंप में बह गया था कोसी नदी पर बना रेल पुल

मालूम हो कि साल 1934 में आये विनाशकारी भूकंप में कोसी नदी पर बना रेल पुल बह गया था. इसके बाद मीटर गेज पर ट्रेनों का परिचालन बंद हो गया था. इसके बाद कोसी और मिथिलांचल के बीच रेल नेटवर्किंग क्षेत्र में संपर्क टूट गया था. अब करीब 88 साल बाद एक बार फिर से कोसी और मिथिला रेल नेटवर्किंग के क्षेत्र में जुड़ जायेगा.

साल 2014 में प्रधानमंत्री ने युद्धस्तर पर कार्य करने का दिया था निर्देश

साल 2002 में 15 अगस्त को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने चार महत्वाकांक्षी रेल परियोजना की घोषणा की थी. इनमें कोसी महासेतु रेल पुल भी महत्वपूर्ण योजना में शामिल था. करीब दो किलोमीटर लंबे पुल को करीब 400 करोड़ से अधिक की लागत से तैयार किया गया है. साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोसी महासेतु रेल पुल पर युद्धस्तर पर कार्य का निर्देश दिया था. इसके बाद साल 2018 में कोसी रेल महासेतु पुल के निर्माण में गति आयी थी और इसे साल 2020 के अंत तक पूरा कर लिया गया.

घट जायेगी मिथिलांचल के बीच की दूरियां

सात मई से सहरसा-निर्मली-दरभंगा के बीच ट्रेन परिचालन के बाद मिथिलांचल के बीच की दूरियां घट जायेंगी. सहरसा, सुपौल, झंझारपुर, निर्मली होकर ट्रेन का परिचालन शुरू हो सकेगा. उत्तर बिहार का यह वैकल्पिक रेल मार्ग पूर्वोत्तर राज्यों से कोसी और मिथिलांचल को सीधा जोड़ेगा. इस मार्ग के शुरू होने से मिथिलांचल में रोजगार के भी साधन बढ़ेंगे.

करीब 1400 करोड़ से अधिक की है रेल परियोजना

सहरसा, सुपौल, ललितग्राम, फारबिसगंज, सकरी, निर्मली, दरभंगा, लोकहां की करीब 206 किलोमीटर लंबी नये रेल परियोजना पर करीब 1400 करोड़ से अधिक की लागत आयी है. ललितग्राम से फारबिसगंज के बीच रेलवे ट्रैक बिछाने का काम किया जा रहा है. वर्तमान में सहरसा से सरायगढ़ और आसनपुर तक ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है. जुलाई तक सहरसा से फारबिसगंज तक के लिए ट्रेन का परिचालन शुरू होने की संभावना है.

सभी तैयारियां पूरी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये लोकार्पण करेंगे रेलमंत्री

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दरभंगा-सहरसा वाया सुपौली-निर्मली रेललाइन का लोकार्पण करेंगे. इसके लिए झंझारपुर जंक्शन और निर्मली में लोकार्पण का मंच तैयार किया जा रहा है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव रेललाइन ट्रैक बिछाने से लेकर स्टेशनों का लोकार्पण करेंगे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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