Vishwakarma Puja 2025 Date: हिंदू धर्म में विश्वकर्मा जयंती का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की जाती है. हर साल यह पर्व कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन मनाया जाता है. भगवान विश्वकर्मा को शिल्प और वास्तुकला का देवता माना जाता है.
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर को देर रात 12:21 बजे से आरंभ होगी. श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुसार स्नान-ध्यान कर भगवान विश्वकर्मा की विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं.
कन्या संक्रांति 2025 शुभ मुहूर्त
आत्मा के कारक सूर्य देव 17 सितंबर की देर रात 01:54 बजे सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे. सनातन धर्म में उदया तिथि को मान्य माना जाता है, इसलिए इस अवसर पर 17 सितंबर को ही विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी.
विश्वकर्मा पूजा के शुभ योग
इस वर्ष विश्वकर्मा जयंती पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. इस दिन परिघ योग और उसके बाद शिव योग का निर्माण होगा. साथ ही शिववास योग भी बन रहा है. मान्यता है कि इन विशेष योगों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि
विश्वकर्मा जयंती को आमतौर पर विश्वकर्मा पूजा भी कहा जाता है. इस दिन कामकाज में उपयोग होने वाले औजार, मशीनें और लोहे के सामानों की विशेष साफ-सफाई कर उन्हें शुद्ध किया जाता है.
स्नान के बाद एक पवित्र चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र स्थापित किए जाते हैं. इसके बाद मौसमी फल, मिष्ठान, पंचमेवा और पंचामृत का भोग लगाकर पूजन किया जाता है.
धूप-दीप जलाकर आरती करने के साथ ही कामकाज में प्रयुक्त होने वाले औजारों और उपकरणों पर तिलक लगाया जाता है तथा फूल अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि इस प्रकार श्रद्धा-भाव से पूजा करने पर भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त होती है, जिससे कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति के मार्ग खुलते हैं.

