Vastu Tips: घर का पूजा स्थल एक ऐसी जगह होती है जहां हर दिन की शुरुआत ईश्वर के स्मरण और प्रार्थना से होती है. यह स्थान न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र होता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मकता का भी स्रोत माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर की दिशा, साफ-सफाई और उसमें रखी मूर्तियों का चुनाव विशेष महत्व रखता है.
यदि आप अपने घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना चाहते हैं, तो पूजा घर से जुड़ी इन जरूरी बातों को जरूर जानें:
पूजा घर के लिए जरूरी वास्तु नियम
- स्वच्छता रखें सर्वोपरि: पूजा घर हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित होना चाहिए. यहां धूल, गंदगी या बिखरे सामान की कोई जगह नहीं होनी चाहिए.
- मूर्तियों की संख्या सीमित रखें: भगवान की बहुत अधिक मूर्तियां न रखें. जितनी कम, उतनी बेहतर. इन्हें सम्मानजनक और सजे हुए स्थान पर रखें.
- नियमित पूजा जरूरी: रोजाना दीपक और अगरबत्ती जलाकर पूजा करें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे.
किन मूर्तियों को रखना है शुभ, और किनसे करें परहेज
राधा-कृष्ण की मूर्ति
प्रेम, सौहार्द और समरसता का प्रतीक मानी जाने वाली राधा-कृष्ण की साथ वाली मूर्ति पूजा घर में रखना बेहद शुभ होता है.
विष्णु और शिवलिंग साथ न रखें
दोनों देव अत्यंत पूजनीय हैं, लेकिन इनकी पूजा विधियां अलग हैं. इसलिए इन्हें एक साथ एक ही स्थान पर नहीं रखना चाहिए.
त्रिदेव की एकसाथ पूजा न करें
ब्रह्मा, विष्णु और महेश—तीनों की मूर्तियां एक साथ रखने से ऊर्जा में असंतुलन आ सकता है.
हनुमान जी की मूर्ति बेडरूम में न रखें
विवाहित व्यक्तियों को शयनकक्ष में हनुमान जी की मूर्ति रखने से बचना चाहिए. वे ब्रह्मचारी हैं, उनकी पूजा पूजा घर में ही करें.
दिवंगत पूर्वजों की तस्वीरें न लगाएं
पूर्वजों की तस्वीरें या मूर्तियां पूजा घर में नहीं लगानी चाहिए, इससे पूजा स्थल की पवित्रता पर प्रभाव पड़ सकता है.
उग्र मुद्रा वाली मूर्तियां न रखें
पूजा घर में हमेशा शांति, मुस्कान या आशीर्वाद की मुद्रा वाली मूर्तियां रखें. उग्र या क्रोधित रूप जैसे काली मां, शनि देव, राहु-केतु आदि की मूर्तियां विशेष पूजा पद्धति की मांग करती हैं, अत: इन्हें सामान्य पूजा घर में न रखें.
संहारकारी स्वरूप से बचें
पूजा घर भक्ति और शांतिपूर्ण ऊर्जा का स्थान है. क्रोध या संहार रूप वाली मूर्तियां मानसिक अशांति और ऊर्जा असंतुलन का कारण बन सकती हैं.
याद रखें
पूजा घर केवल ईश्वर की प्रतिमाओं का स्थान नहीं है, बल्कि यह पूरे घर की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र होता है. इसलिए यहां रखी हर चीज का चयन सोच-समझकर करें और वास्तु नियमों का पालन करें.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
(ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ)
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