Navratri 2025 Kalash Sthapana: 22 सितंबर 2025 से नवरात्रि शुरू हो रही है. इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि के समय जो भी भक्त मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को घर में स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करता है, उस पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है.
नवरात्रि के पहले दिन लोग घरों में कलश और घटस्थापना करते हैं. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है. इसलिए घटस्थापना की सही विधि और शुभ मुहूर्त जानना बेहद जरूरी है, ताकि मां दुर्गा का आशीर्वाद आपको और आपके परिवार को मिल सके.
कलश स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होगी. इस दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रात 01:23 बजे आरंभ होकर 23 सितंबर की रात 02:55 बजे तक रहेगी. इसलिए घटस्थापना का शुभ कार्य 22 सितंबर को ही किया जाएगा.
इस दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:09 बजे से 08:06 बजे तक रहेगा. यदि कोई इस समय पूजा न कर पाए, तो वे अभिजीत मुहूर्त में यानी सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक भी घटस्थापना कर सकते हैं.
कलश स्थापना के दिन क्या करें?
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है. इससे पहले घर और पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए. इसके बाद सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और कोशिश करें कि बिना सिलाई वाले वस्त्र पहनें. फिर पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें.
कलश स्थापना विधि
सबसे पहले मिट्टी में बालू और सात तरह की मिट्टी मिलाकर एक छोटा चबूतरा बनाएं. कलश को अच्छे से धोकर साफ करें और उस पर सिंदूर व स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. इसके बाद कलश के गले में मौली बांधें और उसमें जौ तथा सात अनाज डालें. फिर कलश में शुद्ध जल भरें और साथ ही चंदन, फूल, सुपारी, पान और सिक्का डालें.
इसके बाद कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें. अब एक मिट्टी के बर्तन में चावल भरकर उसे कलश के ऊपर रखें. अंत में नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर उसे कलश के ऊपर स्थापित करें.
पूजा और आह्वान
जब कलश पूरी तरह तैयार हो जाए तो पूरे श्रद्धा भाव से उसकी पूजा करें. कलश को देवताओं का प्रतीक मानते हुए उसमें सभी शक्तियों का आह्वान किया जाता है. इस दौरान भगवान वरुण, देवी पृथ्वी, देवगण, वेद और दिक्पालों को कलश में आमंत्रित करना चाहिए. साथ ही प्रार्थना करें कि नवरात्रि के नौ दिनों तक पूजा-अर्चना में कोई विघ्न न आए और सब कार्य शुभ और सफल हों.

