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Ugadi 2023: कल मनाया जाएगा उगादी पर्व, जानें कैसे करते हैं पूजा और इस पर्व से जुड़ी खास बातें

Ugadi 2023: उगादी (Ugadi) के महोत्सव को चैत्र माह के प्रथम अर्ध चंद्रमा के दिन बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. उगादी त्योहार प्रतिवर्ष मार्च से अप्रैल महीने के बीच आता है. इस पर्व को चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है. इस साल यह पर्व कल यानी चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा को कल 21 मार्च को मनाया जाएगा.

Ugadi 2023: उगादी (Ugadi) या फिर संवत्‍सरदी युगादी के नाम से भी जाना जाने वाला यह पर्व दक्षिण भारत के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है. यह आंध्र प्रदेश और कर्नाटक, तेलंगाना जैसे दक्षिण भारतीय राज्‍यों में प्रमुखता से नववर्ष के तौर पर मनाया जाता है. इस पर्व को चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है. इस साल यह पर्व कल यानी चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा को कल 21 मार्च को मनाया जाएगा.

क्या है उगादी त्योहार

उगादी (Ugadi) के महोत्सव को चैत्र माह के प्रथम अर्ध चंद्रमा के दिन बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. उगादी त्योहार प्रतिवर्ष मार्च से अप्रैल महीने के बीच आता है. उगादी त्यौहार के समय वसंत ऋतु का आगमन अच्छे से हो चुका होता है और हर जगह त्योहारों का रंग नजर आता है.

उगादी त्योहार पर पेड़ों में नए पत्ते लहराते हुए सुन्दर दिखते हैं और त्यौहार मनाने वाले लोगों के मन में उमंग भी दिखता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवजी ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया था कि उनकी पूजा नहीं होगी. परंतु आंध्र प्रदेश में उगादी त्यौहार पर खासकर भगवान ब्रह्मा जी की पूजा होती है.

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु जी ने मतस्य अवतार लिया था. उगादी को लेकर कई सारे ऐतहासिक तथा पौराणिक वर्णन मिलते हैं. ऐसा माना जाता है कि उगादि के दिन ही भगवान श्री राम का राज्याभिषेक भी हुआ था. इसके साथ ही इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की थी.

उगादी के दिन ब्रह्माजी का करें पूजन

उगादी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और नित्यकर्म से निवृत्त होकर उबटन और सुगंधित पदार्थों से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब हाथ में फूल, चावल, जल लेकर सृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्माजी का स्मरण करें. घर के प्रवेशद्वार पर रंगोली या स्वास्तिक बनाएं. मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. ब्रह्माजी की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम एक चौकी पर ब्रह्माजी की मूर्ति की स्थापना करें. ब्रह्माजी की रोली, चंदन, अक्षत, हल्दी, मेंहदी, अबीर, गुलाल, सुगंधित फूल और वस्त्र अर्पित करें. ऋतुफल, मिष्ठान्न, पंचमेवा, पंचामृत का भोग लगाएं. दीपक और सुगंधित धूपबत्ती जलाएं. इस दिन बोब्बटलू, पुलीहोरा जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं.

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