Tulsi Mala Rules: सनातन धर्म में तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि देवी तुलसी (वृंदा) और भगवान विष्णु की प्रियतम माना गया है. विष्णु पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि जहां तुलसी होती हैं, वहां भगवान विष्णु स्वयं विराजमान रहते हैं. इसी कारण भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण के उपासक तुलसी की माला धारण करते हैं और तुलसी माला से मंत्र-जप करते हैं. ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ वाणी अग्रवाल से आध्यात्मिक लाभ और संपूर्ण नियम.
Tulsi Mala Rules: तुलसी की माला का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व
- विष्णु पुराण के अनुसार तुलसी से बना माला धारण करने वाला व्यक्ति भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है.
- तुलसी माला से जाप करने से चित्त शुद्ध होता है. मन में शांति, वैराग्य और भक्ति का विकास होता है.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी माला से बुध (बुद्धि) और गुरु (ज्ञान, धर्म) ग्रह मजबूत होते हैं.
- तुलसी माला से किया गया नाम-जप सामान्य माला की तुलना में अधिक फलदायी माना गया है.
- तुलसी माला धारण करने और इससे जप करने से राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं.
Tulsi Mala Mantra: तुलसी माला से जपने योग्य प्रमुख मंत्र
विष्णु पुराण के अनुसार तुलसी माला से विष्णु तत्व से जुड़े मंत्रों का ही जाप करना चाहिए.
- मुख्य मंत्र (सर्वश्रेष्ठ)
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
यह मंत्र भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण दोनों को समर्पित है. - नाम-स्मरण मंत्र
राम राम
श्रीकृष्ण
हरे कृष्ण हरे राम महामंत्र
ध्यान रहे— तुलसी माला से शिव, शक्ति या अन्य देवताओं के बीज मंत्र नहीं जपने चाहिए.
Tulsi Mala Chanting: तुलसी माला से जाप करने से पहले संकल्प
शास्त्र कहते हैं कि बिना संकल्प के जप अपूर्ण माना जाता है.
संकल्प विधि (सरल शब्दों में): “हे भगवान विष्णु-श्रीकृष्ण, मैं अपनी सामर्थ्य के अनुसार तुलसी माला से आपका नाम-जप करूंगा. कृपा कर मेरा जप स्वीकार करें.”
शास्त्रानुसार तुलसी माला से कितने मनकों का जप करें?
न्यूनतम: 27 मनके
उत्तम: 54 मनके
पूर्ण माला: 108 मनके
शुरुआत करने वाले लोग 1, 5, 7, 11 या 21 माला से आरंभ कर सकते हैं.
तुलसी माला से जाप करने की दिशा और आसन
- विष्णु पुराण के अनुसार उत्तर मुख या पूर्व मुख होकर बैठें.
- कुशासन, ऊनी आसन या सूती आसन श्रेष्ठ माने गए हैं.
- भूमि पर सीधे बैठकर जप करना अधिक फलदायी होता है.
तुलसी माला से जाप करने का उत्तम समय
तुलसी माला से किसी भी समय जाप किया जा सकता है, परंतु विशेष फल के लिए-
ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4–6 बजे) – सर्वश्रेष्ठ
प्रातः स्नान के बाद
संध्या काल
एकादशी, द्वादशी, गुरुवार – अत्यंत शुभ माने गए हैं.
तुलसी माला जपने के शास्त्रीय नियम
वेद–शास्त्रों के अनुसार निम्न नियम अनिवार्य हैं.
- जिस तुलसी माला से आप जप करते हैं, उसे गले में न पहनें.
- पहनने वाली माला और जप की माला अलग-अलग होनी चाहिए.
- कभी भी दूसरे की इस्तेमाल की हुई माला से जाप न करें.
- जाप से पहले माला को गंगाजल या शुद्ध जल से शुद्ध करें.
- जाप के बाद माला को गोमुखी या स्वच्छ कपड़े में लपेटकर रखें.
- माला को ज़मीन पर या अपवित्र स्थान पर न रखें.
- जाप करते समय माला को नाभि से नीचे न रखें.
क्या तुलसी माला पहनते समय कुछ वर्जित है?
शास्त्रों के अनुसार तुलसी माला धारण करने वाला व्यक्ति मांस, मदिरा, तंबाकू से दूर रहे. अपवित्र अवस्था में माला को न छुए. शयन, शौच या अपवित्र कर्मों में माला न पहनें.
तुलसी के प्रकार और माला का फल
शास्त्रों में तुलसी के दो मुख्य प्रकार बताए गए है.
- श्यामा (कृष्ण) तुलसी मानसिक शांति प्रदान करती है.
श्यामा तुलसी नकारात्मक विचारों को दूर करती है.
श्यामा तुलसी भक्ति-साधना के लिए श्रेष्ठ है. - रामा तुलसी
जीवन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ाती है.
गृहस्थ जीवन और आर्थिक स्थिरता में सहायक होती है.
दोनों प्रकार की तुलसी से बनी माला वैष्णव साधना के लिए शुद्ध और मान्य है.
शास्त्रों का निष्कर्ष-
विष्णु पुराण में स्पष्ट कहा गया है,
“तुलसी-दल-संस्पर्शेन विष्णु-सायुज्यमाप्नुयात्।”
अर्थात्- जो व्यक्ति तुलसी के स्पर्श और तुलसी माला से भगवान विष्णु का नाम स्मरण करता है, वह भगवत्कृपा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है.
नोट
- तुलसी माला से केवल विष्णु/कृष्ण मंत्रों का जप करें.
- नियम, शुद्धता और श्रद्धा सबसे आवश्यक है.
- सही विधि से किया गया जप मन, भाग्य और जीवन-तीनों को शुद्ध करता है.
वाणी अग्रवाल
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ
Mo- 9431002995

