Som Pradosh Vrat Katha: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत शुभ व्रत है. हर महीने दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है—एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. यानी सालभर में कुल 24 प्रदोष व्रत होते हैं. इस बार 3 नवंबर 2025, सोमवार के दिन कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी पड़ रही है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं. प्रदोष व्रत की खास बात यह है कि इसकी पूजा सूर्यास्त के बाद संध्या काल में की जाती है, जब भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन सबसे शुभ माना जाता है.
सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
- त्रयोदशी तिथि की शुरुआत: 3 नवंबर 2025 (सोमवार) सुबह 5:07 बजे
- त्रयोदशी तिथि का समापन: 4 नवंबर 2025 (मंगलवार) सुबह 2:05 बजे
- प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:34 बजे से रात 8:11 बजे तक
सोम प्रदोष व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक ब्राह्मणी अपने छोटे बेटे के साथ रहती थी. उसके पति का देहांत हो चुका था, और परिवार के पास कोई साधन नहीं था. वह रोज अपने बेटे के साथ भिक्षा मांगकर किसी तरह जीवनयापन करती थी. कठिन परिस्थितियों के बावजूद वह हर महीने श्रद्धा से प्रदोष व्रत रखती थी.
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एक दिन जब ब्राह्मणी भिक्षा मांगकर घर लौट रही थी, तो उसे रास्ते में एक घायल युवक मिला. दया दिखाते हुए वह युवक को अपने घर ले आई और उसकी सेवा करने लगी. वह युवक दरअसल विदर्भ राज्य का राजकुमार था, जो युद्ध में अपने दुश्मनों से बचकर भागा था क्योंकि उसके पिता को शत्रुओं ने बंदी बना लिया था.
गंधर्व कन्या और राजकुमार का विवाह
कुछ समय बाद, एक दिन उस राजकुमार को गंधर्व कन्या अंशुमति ने देखा और उसे अपना मन दे बैठी. उसने अपने माता-पिता से उस राजकुमार से विवाह करने की इच्छा जताई. उस रात अंशुमति के माता-पिता को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया कि वे अपनी पुत्री का विवाह उसी राजकुमार से करें.
शिवजी की आज्ञा से अंशुमति और राजकुमार का विवाह हुआ. विवाह के बाद गंधर्व राजा की मदद से राजकुमार ने अपने पिता को छुड़ाया और राज्य पर फिर से अधिकार पा लिया.
व्रत का फल और संदेश
राजकुमार ने ब्राह्मणी और उसके पुत्र को सम्मान दिया और उन्हें अपने राज्य में उच्च पद पर आसीन किया. इस प्रकार ब्राह्मणी के जीवन के दुख दूर हो गए. ऐसा माना जाता है कि सोम प्रदोष व्रत के प्रभाव से भगवान शिव हर भक्त की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वरदान देते हैं.

