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Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की रात क्यों आती हैं माता लक्ष्मी, जानिए इस रात का महत्व और खासियत  

Sharad Purnima 2025: पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रमा का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था. उसी समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं और उन्होंने भगवान विष्णु को अपना पति चुना. हर साल इस रात मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं. जो लोग शरद पूर्णिमा की रात जागकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन पर उनकी विशेष कृपा बरसती है.

Sharad Purnima 2025: आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन को स्वास्थ्य और निरोगी जीवन देने वाला दिन माना जाता है. इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होता है और उसकी 16 कलाएं पूर्ण रूप से दिखाई देती हैं. इस कारण उसकी रोशनी सबसे ज्यादा तेज और ऊर्जावान होती है. हर साल रखा जाने वाला यह व्रत माता लक्ष्मी को प्रसन्न करता है और घर में सुख-समृद्धि लाता है.

इसलिए खास है शरद पूर्णिमा

नारद पुराण में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं. उनके हाथों में आशीर्वाद और वरदान होता है. इस रात वे देखती हैं कि कौन जाग रहा है और कौन अपने कामों व जिम्मेदारियों के प्रति सचेत है. जो लोग इस रात जागकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन पर उनकी विशेष कृपा बरसती है. माना जाता है कि अच्छे और धर्मपूर्ण जीवन जीने वालों को माता लक्ष्मी धन, यश, वैभव और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. इसी रात चंद्रमा भी अपनी बहन से मिलने धरती के और करीब आता है और अपनी ठंडी, अमृतमयी किरणों से पूरी पृथ्वी को भर देता है.

इसी दिन श्रीकृष्ण ने किया था महारास

शरद पूर्णिमा की उज्ज्वल चांदनी रात को भगवान श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ अद्भुत महारास रचाया था. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने प्रत्येक गोपी के साथ नृत्य करने के लिए स्वयं के अनेक रूप बना लिए थे. यह रासलीला प्रेम, भक्ति और आनंद का अद्भुत प्रतीक मानी जाती है. शरद पूर्णिमा की पूजा भी इसी कारण जीवन में प्रेम और उमंग भर देती है.

लक्ष्मी जी का जन्म

मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय चंद्रमा और माता लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं. माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है. कई जगहों पर कुंवारी कन्याएं सूर्य और चंद्रदेव की पूजा करती हैं, जिससे उन्हें मनचाहा वर मिलता है. साथ ही, घर-परिवार में सुख, सौभाग्य और समृद्धि आती है.

क्यों रखा जाता है खुले आसमान के नीचे खीर

शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे खीर रखने का खास विधान है. माना जाता है कि चंद्रमा की किरणें खीर को अमृत तुल्य बना देती हैं. जब 3-4 घंटे तक खीर पर चांदनी पड़ती है, तो उसका सेवन प्रसाद की तरह किया जाता है. इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है और सालभर निरोगी जीवन मिलता है. इस रात चांद को निहारना या सुई में धागा पिरोना आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी लाभकारी माना गया है.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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