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Shani Jayanti 2025 कब, यहां जानें सटीक तारीख और पूजा का शुभ मुहूर्त

Shani Jayanti 2025: शनि जयंती ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाएगी, जिसे शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था. कर्म और न्याय के देवता शनि देव को इस दिन विधिपूर्वक पूजन करके प्रसन्न किया जा सकता है. जानिए शनि जयंती की तिथि.

Shani Jayanti 2025 Date: धार्मिक मान्यता के अनुसार, जेष्ठ माह की अमावस्या को सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था. शनि जयंती के अवसर पर कर्म और न्याय के देवता शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करने से उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है. इस दिन विशेष रूप से शनि महाराज की उपासना की जाती है, जिससे व्यक्ति सभी प्रकार के रोग और कर्ज से मुक्त हो सकता है. इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य करने से जीवन में सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है.

क्यों मनाई जा रही है शनि जयंती

यह माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि देवता का जन्म हुआ था. वह सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र माने जाते हैं. शनि जयंती पर उनकी पूजा करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है. शनिदेव यम और यमुना के भाई हैं और वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं. इस बार शनि जयंती की तिथि को लेकर कुछ भ्रम उत्पन्न हुआ है, तो चलिए जानते हैं कि इस बार शनि जयंती कब है.

शनि जयंती कब है? जानिए पूजा विधि, उपाय और साढ़ेसाती से राहत पाने का तरीका

कब है शनि जयंती

इस बार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 2 दिन तक रहेगी, जिससे लोगों के मन में शनि जयंती की सही तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 26 मई, सोमवार को दोपहर 12:12 बजे से प्रारंभ होगी और 27 मई, मंगलवार को सुबह 08:32 बजे तक जारी रहेगी. चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 27 मई को होगा, इसलिए इसी दिन शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा.

शनि जयंती पूजा विधि

शनि जयंती के अवसर पर पूजा करने के लिए प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. इसके पश्चात काले वस्त्र पर शनि देव की स्थापना करें. उनके समक्ष सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें. धूप अर्पित करें. पंचगव्य, पंचामृत आदि से स्नान कराने के उपरांत कुमकुम और काजल लगाएं. तत्पश्चात उन्हें फूल अर्पित करें और तेल से बनी मिठाई को भोग के रूप में चढ़ाएं. फिर शनि मंत्र का एक माला जप करें. पंचोपचार मंत्र ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः का जप करना भी लाभकारी होगा. इसके बाद शनि चालीसा का पाठ करें और शनि देव की आरती करें. अंत में पूजा के दौरान अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें और शनि देव से आशीर्वाद प्राप्त करें.

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