Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि मनुष्य का जीवन तभी सुंदर बनता है, जब भीतर शांति और बाहर संयम हो. उनका कहना है कि भक्ति केवल मंदिर तक सीमित नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की आदतों, रिश्तों और विचारों में दिखाई देनी चाहिए. यही कारण है कि उनके बताए गए छोटे-छोटे सिद्धांत व्यक्ति के व्यवहार, सोच और कठिन परिस्थिति से निपटने की क्षमता को मजबूत बनाते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज की ये 5 जरूरी बातें
मन को साफ रखें, तभी जीवन साफ दिखेगा
महाराज कहते हैं कि गंदगी बाहर नहीं, पहले मन में होती है.
जब मन ईर्ष्या, नफरत या भय से भरा होता है, तो हर स्थिति मुश्किल लगती है.
मन शांत हो तो समस्याएं भी हल होती दिखने लगती हैं.
भगवान का नाम जपें, व्यवहार भी भक्त जैसा रखें
वे समझाते हैं कि केवल पूजा करने से जीवन नहीं बदलता, बल्कि इंसान के व्यवहार से उसकी भक्ति की पहचान होती है.
सरल आचरण और मदद की भावना यही असली पूजा है.
क्रोध पर नियंत्रण सफल इंसान का पहला गुण
क्रोध को महाराज “मन का भस्मासुर” कहते हैं.
उनका संदेश है कि क्रोध में किया गया एक वचन, कई रिश्ते तोड़ सकता है.
धैर्य रखने वाला व्यक्ति हर स्थिति में जीतता है.
माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा
प्रेमानंद जी का स्पष्ट संदेश है
“माता-पिता भगवान का पहला रूप हैं. उन्हें सम्मान दो, जीवन में कृपा अपने आप आएगी.”
उनकी सेवा में किया गया हर पल, आध्यात्मिक उन्नति माना गया है.
हर स्थिति में भगवान पर भरोसा रखें
वे कहते हैं कि जीवन में उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है, लेकिन भरोसा टूटना नहीं चाहिए.
विश्वास रखने वाला व्यक्ति भय, दुख और असमंजस से जल्दी बाहर आता है.
“भगवान देर करते हैं, अंधेर नहीं” यह उनका प्रमुख संदेश है.

