Prayagraj Magh Mela 2021: कोरोना वायरस संक्रमण काल में संगम किनारे बसाए गए माघ मेले का पहला स्नान पर्व मकर संक्रांति पर गुरुवार को होगा. इसमें लाखों श्रद्धालु संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे. इस बार मेले में हर श्रद्धालु को अपनी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट लानी होगी. घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ स्नान की व्यवस्था की गई है. इस बार ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष संयोग मकर संक्रांति और मेले को ख़ासा फलदायक बना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी अमले पर श्रद्धालुओं को कोरोना के संक्रमण से बचाने की बड़ी चुनौती भी है. मेले में इस बार छह प्रमुख स्नान पर्व होंगे.
पौष पूर्णिमा के अवसर पर भक्त संगम, यमुना, गंगा और पौराणिक सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान करेंगे. माघ मेला के पूरे महीने के दौरान तीर्थयात्री संगम के तट पर रहते हैं और सुबह जल्दी स्नान करते हैं और अन्य धार्मिक कर्तव्यों में भाग लेते हैं
मकर संक्रांति पर पुण्य काल का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि पुण्य काल में पूजा और दान करने से मकर संक्रांति का पूर्ण लाभ मिलता है. मकर संक्रांति आज भगवान सूर्य सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्यास्त तक बना रहेगा.
दान-पुण्य और स्नान का पर्व मकर संक्रांति है. इस बार मकर संक्राति पर पंचग्रही योग बना है. ज्योतिष के अनुसार यह योग 37 साल बाद बना है. श्रद्धालु 37 साल बाद इस योग में पुण्य की डुबकी लगाएंगे. आज श्रद्धालु घाट किनारे स्नान कर पूजा-अर्चना, अंजलि से ही सूर्य को अर्घ्य देंगे. इसके बाद गंगापुत्र घाटियों के यहां तिलक-चंदन लगवाएंगे और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देंगे. वहीं, खिचड़ी के साथ ही पूछ पकड़कर गोदान भी करेंगे.
माघ मेले में स्नान के लिए कुछ विशेष नियम बताए जाते हैं. मान्यता है कि माघ में मलमास पड़ जाए तो मासोपवास चंद्रायण आदि व्रत मलमास में ही समाप्त करना चाहिए और स्नान-दान आदि द्विमास के पूरा होने तक चलता रहता है. ऐसे ही नियम कुंभ के स्नान के समय भी होते हैं. पौष शुक्ल एकादशी से, पूर्णमासी से या अमावस्या से माघ स्नान प्रारंभ किया जाता है. माना जाता है कि प्रयाग में माघ मास में 3 बार स्नान करने से जो फल मिलता है, वो पृथ्वी पर 10 हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है.
आज मकर संक्रांति है. इस दिन सूर्य देव सुबह 8 बजकर 30 मिनट यानी साढ़े 8 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी. आज सुबह से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा पुण्य काल का समय रहेगा. हालांकि, महापुण्य काल प्रात: काल में ही रहेगा. माना जाता है कि पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
माघ मेले का पहला स्नान पर्व मकर संक्रांति गुरुवार को है. इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य दोपहर 2 बजकर 37 मिनट पर शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ देवताओं का प्रभातकाल उत्तरायण शुरू हो जाएगा. संक्रांति पर स्नान दान का पुण्यकाल सुबह 7 बजकर 24 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो सूर्यास्त तक रहेगा.
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही एक माह से चल रहे खरमास (Kharmas 2021) समाप्त हो जाएंगे और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है. इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
2021 में मकर संक्रांति मंद देवी के रूप में आ रही है. इनकी शवारी शेर है और ये बैठी हुई अवस्था में आएंगी. इनका उपवाहन हाथी होगा. इस साल की संक्रांति अपने बाल अवस्था में हैं. इन्होंने सफेद वस्त्र धारण किए हैं और कस्तूरी का इत्र लगा रखा है. इनके हाथ में नाग केसर का फूल है.
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