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Paush Month 2025: पौष माह में इन उपायों से बदल सकता है भाग्य, जानें पुराणों के अनुसार लाभ

Paush month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह को बेहद पवित्र माना गया है. इस बार ये महीना 5 दिसंबर से शुरू होगा. इस पूरे महीने सूर्य देव, पितरों और भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान है. जानिए इस महीने में कौन से उपाय भाग्य बदल सकते हैं.

Paush Month 2025: धार्मिक ग्रंथ बताते हैं कि पौष मास का संबंध तप, संयम और सकारात्मक ऊर्जा से है. इस दौरान सुबह-सवेरे सूर्य को अर्घ्य, पितरों के लिए तर्पण और भगवान विष्णु का स्मरण करने से जीवन में स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि बनी रहती है.

पौष माह कब से कब तक है?

पौष मास 5 दिसंबर 2025 (शुक्रवार) से शुरू होकर 3 जनवरी 2026 (शनिवार) को समाप्त होगा. पूरे महीने सूर्य पूजा, व्रत, दान और धार्मिक पाठ को विशेष फलदायी माना गया है.

सूर्य देव की पूजा का महत्व

पौष महीने में सूर्य देव की पूजा को विशेष स्थान दिया गया है. इस पूरे समय प्रतिदिन सुबह तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन और फूल डालकर “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र के साथ सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना जाता है.

  • इससे शरीर में ऊर्जा बढ़ती है
  • मानसिक तनाव कम होता है
  • स्वास्थ्य मजबूत बनता है

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

पौष मास में आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है. कहा जाता है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से शत्रु भय, मानसिक परेशानियां और कई जीवन कष्ट दूर होते हैं.

रविवार का व्रत

इस महीने के रविवार का व्रत बहुत शुभ माना जाता है. व्रत रखने के बाद शाम को तिल-चावल की खिचड़ी और गुड़ का भोग लगाकर व्रत खोलने से यश मिलता है और जीवन में बाधाएं कम होती हैं.

भगवान विष्णु की पूजा और दान

पौष मास को भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा पाने का समय भी कहा गया है. इस दौरान विष्णु भगवान के नामों का जाप करना, विष्णु सहस्रनाम पढ़ना और मंदिर दर्शन करना अत्यधिक शुभ माना जाता है.

दान-पुण्य का महत्व

ठंड का महीना होने के कारण इस समय

गरम कपड़े

कंबल

गुड़, दाल

तांबे के बर्तन

दान करने से पुण्य मिलता है और जीवन में शांति बनी रहती है.

पितरों का तर्पण

पौष माह में अमावस्या, संक्रांति, पूर्णिमा और एकादशी के दिन पितरों हेतु तर्पण का विशेष महत्व है. ऐसा करने से पितृदोष शांत होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

अन्य शुभ कार्य

पवित्र नदियों में स्नान

गंगा, यमुना, नर्मदा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से पापों का क्षय होता है और मन को शांति मिलती है.

सत्संग और धार्मिक पाठ

पौष मास में भागवत कथा, रामायण पाठ, कीर्तन और सत्संग सुनना अत्यंत शुभ माना गया है. इससे मन सकारात्मक होता है और घर में सौभाग्य बढ़ता है.

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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