Nirjala Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष महत्व है, और उनमें भी निर्जला एकादशी को सबसे कठिन और पुण्यदायी व्रत माना गया है. यह व्रत तप, संयम और श्रद्धा की पराकाष्ठा का प्रतीक है, जिसमें जल तक का त्याग किया जाता है. कहा जाता है कि इस एक दिन का व्रत करने से वर्षभर की सभी 24 एकादशियों का फल मिल जाता है.
Nirjala Ekadashi 2025: कब है?
निर्जला एकादशी 2025 में 6 जून, शुक्रवार को मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत 6 जून को रात 2:15 बजे से होगी और समाप्ति 7 जून को सुबह 4:47 बजे होगी. व्रत का पालन 6 जून को ही किया जाएगी.
निर्जला एकादशी व्रत के नियम
निर्जला एकादशी का व्रत कठिन जरूर है, लेकिन यदि इसके नियमों का पालन श्रद्धा से किया जाए तो यह बेहद फलदायक होता है.
- जल का त्याग: इस दिन पानी पीना भी वर्जित होता है. इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है.
- अन्न और फलाहार वर्जित: किसी भी प्रकार का अनाज और फल नहीं खाना चाहिए.
- मन की शुद्धता: मन, वाणी और व्यवहार को शुद्ध रखें. गुस्से, नकारात्मकता और कटु शब्दों से बचें.
- ब्रह्मचर्य का पालन: शारीरिक और मानसिक संयम रखें.
- भगवान विष्णु की पूजा: दिनभर भजन-कीर्तन करें, कथा सुनें और रात में जागरण करें.
- दान-पुण्य: द्वादशी को सूर्योदय के बाद गरीबों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करें और फिर व्रत का पारण करें.
व्रत के लाभ
निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सारे एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त होता है. इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि महाभारत के भीम ने केवल यही व्रत किया था और उन्हें 24 एकादशियों का फल मिला.
इस व्रत से मिलने वाले लाभ
- भगवान विष्णु की कृपा से पापों का नाश होता है.
- मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है.
- आत्मा को शुद्धि मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है.
- दान और सेवा करने से समाज में सम्मान और शुभ फल प्राप्त होता है.