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Paush Purnima 2026: पौष पूर्णिमा व्रत कब है? जानें शुभ मुहूर्त, राहु काल, पूजा विधि, ज्योतिषीय उपाय और स्नान दान का महत्व

Paush Purnima 2026: पौष मास की पूर्णिमा तिथि अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है. इसी दिन से प्रयागराज में माघ मेला की शुरुआत होती है. पौष पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती और पूर्व में किए पाप धुल जातें है.

Paush Purnima 2026: पौष पूर्णिमा का व्रत 3 जनवरी 2026 दिन शनिवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ रखा जाएगा, इसी दिन से प्रयागराज में माघ मेला की शुरुआत होगी, जो 15 फरवरी 2026 तक चलेगा. यह लगभग 44–45 दिनों तक चलने वाला धार्मिक मेला है, जहां श्रद्धालु पवित्र संगम गंगा, यमुना और सरस्वती में गंगा स्नान, ध्यान और पूजा-पाठ करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पौष मास की पूर्णिमा तिथि अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है. माघ स्नान को मोक्षदायी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है. पौष पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती और पूर्व में किए पाप धुल जातें है. इस दिन भगवन विष्णु के पूजा अर्चना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ चंद्रशेखर सहस्त्रबाहु: से पौष पूर्णिमा की धार्मिक महत्व और स्नान दान के लिए शुभ मुहूर्त पूजा विधि.

Paush Purnima 2026: पौष पूर्णिमा 2026 की तिथि

पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ: 2 जनवरी 2026 दिन शुक्रवार की शाम 06 बजकर 53 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि का समापन: 3 जनवरी 2026 दिन शनिवार को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट पर

पौष पूर्णिमा स्नान दान का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 05:13 से 06:01 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:26 बजे तक

पौष पूर्णिमा पर अशुभ समय

  • काल: 06.01 से 08.08 तक
  • राहु काल- 09:27 से 10:46 तक

चौघड़िया

  • सुबह 08:08 – 09:27 शुभ
  • सुबह 09:27 – 10:46 रोग
  • सुबह 10:46 – 12:05 उद्वेग
  • दोपहर 12:05 – 01:24 चर
  • दोपहर 01:24 – 02:43 लाभ
  • दोपहर 02:43 – 04:02 अमृत

पौष पूर्णिमा पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा नदी या घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
  • तांबे के लोटे में जल, लाल फूल और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.
  • चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
  • पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें.
  • पूजा स्थान पर बैठकर हाथ में जल, अक्षत और पुष्प अर्पित करें.
  • पीले फूल, तुलसी पत्र, चंदन, धूप-दीप अर्पित करें.
  • विष्णु मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें.
  • पूजा के बाद अन्न, तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र, दूध या घी का दान करें.

पौष पूर्णिमा व्रत पारण

  • शाम को चंद्रमा निकलने पर दूध, चावल और सफेद पुष्प अर्पित करें.
  • चंद्र मंत्र “ॐ सोम सोमाय नमः” का जाप करें.
  • चंद्र दर्शन के बाद फल, दूध या सात्विक भोजन से व्रत खोलें.

पौष पूर्णिमा व्रत के लाभ

  • पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है.
  • मानसिक शांति और पारिवारिक सुख मिलता है.
  • धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है.
  • भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है.

पौष पूर्णिमा व्रत और गंगा स्नान का धार्मिक महत्व

  • पौष पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती जैसे पवित्र तीर्थों में स्नान करने से सभी पापों का क्षय होता है.
  • शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन किया गया स्नान अश्वमेध यज्ञ के समान फल देता है.
  • पौष पूर्णिमा को भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा विशेष फलदायी होती है.
  • विष्णु पूजन से धन, ऐश्वर्य, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
  • चंद्रमा की पूजा करने से मन शांत रहता है, भावनाएं संतुलित होती हैं और स्वभाव कोमल बनता है.
  • पौष पूर्णिमा पर किया गया अन्नदान, वस्त्रदान, कंबलदान, तिल-गुड़ का दान कई गुना फल देता है.
  • पौष पूर्णिमा व्रत रखने और विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ या महामंत्र जप करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं.
  • प्रयागराज जैसे तीर्थों में पौष पूर्णिमा से कल्पवास और माघ स्नान की शुरुआत होती है.

पौष पूर्णिमा के दिन करें ज्योतिषीय उपाय

  • पौष पूर्णिमा के दिन शाम को चंद्र दर्शन करें.
  • पौष पूर्णिमा की शाम में चंद्रमा को दूध मिलाकर जल अर्पित करें.
  • पौष पूर्णिमा की सुबह में गाय को हरी घास या गुड़ खिलाएं.
  • पौष पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध और जल अर्पित करें.
  • पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल और घी का दीपक अर्पित करें.
  • पौष पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद को चावल, दूध, मिश्री या सफेद वस्त्र दान करें.
  • पौष पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और 7 बार परिक्रमा करें.
  • पौष पूर्णिमा के दिन क्रोध, झूठ और कटु वाणी से बचें.

चंद्रशेखर सहस्त्रबाहु:
ज्योतिषाचार्य एवं हस्त रेखा विशेषज्ञ
Mo- +91 8620920581

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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